एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा || लेखिका परिचय, सार, प्रश्न उत्तर || EVEREST MERI SHIKHAR YATRA || कक्षा 9 || स्पर्श || गद्य ||
लेखिका परिचय
लेखिका – बचेंद्री पाल
जन्म – 1954 उत्तराखंड
बचेंद्री पाल को बचपन से ही पहाड़ों पर चढ़ने का शौक था | इनका परिवार साल के कुछ महीने एक ऊँचे स्थान पर बिताता था और कुछ महीने नीचे तराई में | तराई में रहते हुए बचेंद्री पाल को स्कूल जाने के लिए रोज पाँच-छह मील पहाड़ की चढ़ाई करनी पड़ती थी |
एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला – पढाई पूरी करके बचेंद्री इंडियन माउंटेन फाउंडेशन में शामिल हो गईं | ट्रेनिंग के दौरान बचेंद्री पाल 7500 मीटर ऊँची चोटी पर चढ़ीं और 23 मई 1984 को माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बनीं |
पाठ का सार
प्रस्तुत पाठ में लेखिका ने एवरेस्ट पर अपनी चढ़ाई करने की कठिनाईयों के बारे में बताया है कि किस प्रकार चढ़ाई करते समय एक से एक बढ़कर कठिनाईयाँ आईं,बर्फ़ की कब्र में दबीं,कर्नल खुल्लर ने उन्हें वापस लौट जाने को कहा ,किंतु दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प की धनी बचेंद्री पाल टस से मस नहीं हुई |
प्रश्न उत्तर -
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1.
अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था?
उत्तर-
अग्रिम दल का नेतृत्व प्रेमचंद कर रहे थे।
प्रश्न 2.
लेखिका को सागरमाथा क्यों अच्छा लगा?
उत्तर-
लेखिका को ‘सागरमाथा’ नाम इसलिए अच्छा लगा क्योंकि सागरमाथा का अर्थ है- सागर का माथा और एवरेस्ट संसार की सबसे ऊँची चोटी है।
प्रश्न 3.
लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?
उत्तर
लेखिका को एवरेस्ट के शिखर पर बर्फ़ का एक बड़ा भारी फूल (प्लूम) तेज हवाओं के कारण लहराता हुआ ध्वज जैसा लगा |
प्रश्न 4.
हिमस्खलन से कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने घायल हुए?
उत्तर-
हिमस्खलन से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई और चार लोग घायल हुए।
प्रश्न 5.
मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?
उत्तर-
मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने कहा कि ऐसे साहसिक अभियानों में होने वाली मृत्यु को सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए।
प्रश्न 6.
रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर-
रसोई सहायक की मृत्यु स्वास्थ्य के प्रतिकूल जलवायु में काम करने के कारण हुई।
प्रश्न 7.
कैंप-चार कहाँ और कब लगाया गया?
उत्तर-
कैंप-चार 7900 मीटर ऊँची ‘साउथ कोल’ नामक जगह पर 29 अप्रैल को लगाया गया था।
प्रश्न 8.
लेखिका ने तेनजिंग को अपना परिचय किस तरह दिया ?
उत्तर-
लेखिका ने तेनजिंग को अपना परिचय देते हुए कहा कि वह नौसिखिया है और एवरेस्ट उसका पहला अभियान है।
प्रश्न 9.
लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी?
उत्तर-
लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने कहा- मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा | देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में वापस जाओगी, जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा।
लिखित -
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1. नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?
उत्तर- नजदीक से एवरेस्ट को देखने पर लेखिका भौंचक्की रह गई। उन्हें टेढ़ी-मेढ़ी चोटियाँ ऐसी लग रही थीं मानो कोई बरफ़ीली नदी बह रही हो।
प्रश्न 2. डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?
उत्तर- डॉ. मीनू मेहता ने लेखिका को अल्युमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुलों का निर्माण करने, लट्टों और रस्सियों का उपयोग करने, बर्फ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधने तथा अग्रिम दल के अभियांत्रिकी के कार्यों की विस्तृत जानकारी दी।
प्रश्न 3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में क्या कहा?
उत्तर- तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में कहा, “तुम पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो पहले ही प्रयास में शिखर पर पहुँच जाना चाहिए।
प्रश्न 4. लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?
उत्तर- लेखिका को की, जय और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी,जो भारी बोझ और बिना आक्सीजन के चलने के कारण काफ़ी पीछे रह गए थे |
प्रश्न 5. लोपसंगा ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?
उत्तर- लोपसांग ने तंबू का रास्ता साफ़ करने के लिए अपनी स्विस छुरी निकाली। उन्होंने लेखिका के आसपास जमे बड़े-बड़े हिमपिंडों को हटाया और लेखिका के चारों ओर जमी बरफ़ की खुदाई की । तथा लेखिका को बरफ़ की कब्र से खींच निकाला।
प्रश्न 6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की?
उत्तर- ‘साउथ कोल’ कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की चढ़ाई की तैयारी शुरू की। उन्होंने खाना, कुकिंग गैस तथा ऑक्सीजन सिलेंडर इकट्टे किए। उसके बाद वह चाय बनाने की तैयारी करने लग गई ।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1. उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?
उत्तर- उपनेता प्रेमचंद ने अभियान दल को खंभु हिमपात की स्थिति की जानकारी देते हुए कहा कि उनके दल ने कैंप-एक जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया है और पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा झंडियों से रास्ता चिन्हित कर, सभी बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया है। उन्होंने इस पर भी ध्यान दिलाया कि ग्लेशियर बरफ़ की नदी है और बरफ़ का गिरना अभी जारी है। हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलाव के कारण अभी तक के किए गए सभी काम व्यर्थ हो सकते हैं और उन्हें रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता है।
प्रश्न 2. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर- बर्फ़ के खंडों का अव्यवस्थित ढंग से गिरना ही हिमपात कहलाता है। ग्लेशियर के बहने से बर्फ में हलचल मच जाती है। इस कारण बर्फ़ की बड़ी-बड़ी चट्टानें तत्काल गिर जाती हैं। इस अवसर पर स्थिति ऐसी खतरनाक हो जाती है कि धरातल पर दरार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। हिमपात से पर्वतारोहियों की कठिनाइयाँ बहुत अधिक बढ़ जाती हैं |हिमपात से उन्हें चोट भी लग सकती है तथा उनकी मृत्यु भी हो सकती है |
हिमपात की वजह से कई बार रास्ता इतना ख़राब हो जाता है कि पर्वतारोही कई दिनों तक वहीं फँसे रह जाते हैं|
हिमपात की वजह से मौसम भी अचानक ख़राब हो जाता है |
प्रश्न 3. लेखिका ने तंबू में गिरे बरफ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया है?
उत्तर- लेखिका ने तंबू में गिरे बरफ़ के पिंड का वर्णन करते हुए कहा है कि वह ल्होत्से की बर्फीली सीधी ढलान पर लगाए गए नाइलान के तंबू के कैंप-तीन में थी। उनके तंबू में लोपसांग और तशारिंग थे। अचानक रात साढ़े बारह बजे जोरदार धमाका हुआ और उन्हें लगा कि एक ठंडी बहुत भारी व सख्त चीज़ उनके सिर से टकराई और उनके शरीर को कुचलती हुई चली गई जिससे लेखिका की नींद खुल गई और उन्हें अहसास हुआ कि साँस लेने में उन्हें कठिनाई हो रही है ।
प्रश्न 4. लेखिका को देखकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तर- पाठ के अनुसार वह जय नहीं ,की था जो लेखिका को साउथ कोल कैंप से अपने साथियों की खोज ख़बर लेने के लिए नीचे उतरा देखकर हक्का-बक्का रह गया था |साउथ कोल की चढ़ाई किसी को भी इतना थका देती है कि वहाँ पहुँचकर पुन: बर्फीली हवा में नीचे आना हिम्मत का काम होता है किंतु बचेंद्री पाल ने अपने साथियों के लिए यह हिम्मत दिखाई थी जिससे की हक्का -बक्का रह गया था।
प्रश्न 5. एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर- एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल 6 कैंप बनाए गए थे जो निम्नलिखित हैं:
बेस कैंप - यह मुख्य कैंप था।
कैंप 1 - यह समुद्र से 6000 मी की ऊँचाई पर बनाया गया था। इसमें सामान जमा किया गया था।
कैंप 2 - यह चढ़ाई के रास्ते में था।
कैंप 3 - यह ल्होत्से की सीधी ढ़लान पर था। यहीं पर हिमपिंड लेखिका के तंबू पर गिरा था।
कैंप 4 - यह समुद्र तट से 7900 मी की ऊँचाई पर था। इस कैंप को साउथ कोल में लगाया गया था।
शिखर कैंप - यह एवरेस्ट के ठीक नीचे था।
प्रश्न 6. चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?
उत्तर - जब बचेंद्री पाल एवरेस्ट की चोटी पर पहुँची तो वहाँ चारों ओर तेज़ हवा के कारण बर्फ़ उड़ रही थी। बर्फ़ इतनी अधिक थी कि सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। पर्वत की शंकु चोटी इतनी तंग थी कि दो आदमी वहाँ एक साथ खड़े नहीं हो सकते थे। नीचे हजारों मीटर तक ढलान ही ढलान थी। अतः वहाँ अपने आपको स्थिर खड़ा करना बहुत कठिन था इसलिए उन्होंने फावड़े से बर्फ़ तोड़कर अपने आपको सुरक्षित खड़ा रहने योग्य स्थान बनाया।
प्रश्न 7. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है?
उत्तर - एवरेस्ट पर विजय पाने के अभियान के दौरान लेखिका बचेंद्री पाल अपने साथियो ‘जय’, की ‘मीनू’ के साथ चढाई कर रही थी, परंतु वह इनसे पहले साउथ कोल कैंप पर जा पहुँची क्योंकि वे(उसके साथी) बिना ऑक्सीजन के भारी बोझ लादे चढ़ाई कर रहे थे। लेखिका ने दोपहर बाद इन सदस्यों की मदद करने के लिए एक थरमस को जूस से और दूसरे को गरम चाय से भर लिया और बर्फीली हवा में कैंप से बाहर निकल कर उन सदस्यों की ओर नीचे उतरने लगी। उसके इस कार्य से सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय मिलता है |
HARSH LATA ATRI
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