गिल्लू || लेखिका परिचय,पाठ प्रवेश,सार,प्रश्न उत्तर || Gillu || कक्षा - 9 || संचयन || गद्य
लेखक परिचय
लेखिका – महादेवी वर्मा
जन्म – 1907
रचनाएँ – नीहार, नीरजा, रश्मि व सांध्यगीत आदि उनकी प्रसिद्ध काव्य रचनाएँ हैं |
महादेवी वर्मा प्रयाग विद्यापीठ की प्राचार्या जीवनपर्यंत रहीं |
उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया |
पाठ प्रवेश
प्रस्तुत लेख एक संस्मरण है जो लेखिका की मेरा परिवार नामक पुस्तक से लिया गया है लेखिका ने गिलहरी के एक मरणासन्न बच्चे को पालने,उसको गिल्लू नाम देने ,उसकी प्रत्येक गतिविधि के बारे में बताने के साथ-साथ उसके इस संसार को छोड़कर चले जाने का मार्मिक वर्णन किया है |
पाठ सार
प्रस्तुत पाठ में लेखिका ने अपने जीवन के उन पलों को साझा किया है जब उन्होंने एक गिल्हरी के बच्चे को दो कौओ से बचाकर उसका उपचार किया और उसे अपने घर में रखा था | उन्होंने उसका नाम गिल्लू रखा तथा दो साल तक वह उनके साथ उनके परिवार की तरह रहा | मरणोपरांत उसकी समाधि उसी सोनजूही की लता के नीचे इस उम्मीद से लगा दी थी कि एक दिन वह सोनजूही की कली के रूप में अवश्य ही खिल उठेगा |
प्रश्न उत्तर :
प्रश्न 1 - सोनजूही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उमड़ने लगे ?
उत्तर - सोनजूही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में छोटे से जीव गिल्लू की याद तरोताज़ा हो गई।गिल्लू इसी लता की हरियाली में छिपकर बैठता था और उनके निकट जाते ही कंधे पर कूदकर उन्हें चौंका देता था |लेखिका ने गिल्लू की मृत्यु के बाद गिल्लू की समाधि इसी सोनजूही के पौधे की नीचे बनाई थी |इसलिए जब लेखिका ने सोनजूही में लगी पीली कली को देखा तो उन्हें लगा कि जैसे मानो गिल्लू उन कलियों के रूप में उन्हें चौंकाने ऊपर आ गया है।
प्रश्न 2 - पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है ?
उत्तर - हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि पितरपक्ष के समय हमारे पूर्वज कौवे के रूप में आकर भोजन ग्रहण करते हैं,जब कौवा घर की छत पर बैठकर काँव-काँव करता है तो इसका मतलब होता है कि घर में कोई मेहमान/प्रियजन आने वाला है, तब उस समय हम कौवे को सम्मान देते है। लेकिन दूसरी ओर, कौवे के काँव काँव करने की कर्कश ध्वनि को हम पसंद नहीं करते तब कौए का अनादर करते हैं।अत: कौवे को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी कहा गया है।
प्रश्न 3 - गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया ?
उत्तर - गिलहरी के घायल बच्चे के घाव पर लगे खून को पहले रुई से साफ किया । उसके घाव पर पेंसिलिन का मरहम लगाया और फिर धीरे-धीरे रुई को दूध में डुबो कर उसे दूध पिलाने की कोशिश की जिसमे पहले लेखिका असफल रही क्योंकि घायल होने के कारण वह काफ़ी कमजोर हो गया था और दूध की बूँदें उसके मुँह से बाहर गिर रही थी लेकिन लगभग ढ़ाई घंटे के उपचार के बाद गिलहरी के बच्चे के मुँह में पानी की कुछ बूँदें जा सकीं।
प्रश्न 4 - लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था ?
उत्तर - लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू उनके पैरों के पास आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और परदे से उतरकर लेखिका के पास आ जाता था। यह सिलसिला तब तक चलता रहता, जब तक लेखिका गिल्लू को पकड़ने के लिए उठ नही जाती थी।
प्रश्न 5 - गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया ?
उत्तर - लेखिका के घर में रहते हुए गिल्लू के जीवन का जब प्रथम बसंत आया।तब बाहर की गिलहरियाँ घर की खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करने लगतीं तब गिल्लू खिड़की के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झाँकने लगता। गिल्लू को जाली के पास बैठकर अपनेपन से इस तरह बाहर झाँकते देखकर लेखिका को लगा कि इसे मुक्त करना अब आवश्यक है। लेखिका ने गिल्लू को मुक्त करने के लिए खिड़की पर लगी जाली की कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया।
प्रश्न 6 - गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था ?
उत्तर - जब लेखिका अस्पताल से घर आई तो गिल्लू उनके सिर के पास बैठा रहता था। वह अपने नन्हे पंजों से लेखिका के सिर और बाल को हौले-हौले सहलाता रहता था। इस तरह से वह एक परिचारिका की भूमिका निभा रहा था।
प्रश्न 7 - गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है ?
उत्तर - गिल्लू ने दिन भर कुछ नहीं खाया, न ही वह कहीं बाहर गया।रात में वह अपने झूले से उतरकर लेखिका के पास आ गया। गिल्लू ने अपने ठंडे पंजों से लेखिका की वही अंगुली पकड़ ली जिसे उसने पहले मरणासन्न स्थिती मे पकड़ा था और उनके हाथ से चिपक गया। इससे लेखिका को लगने लगा कि गिल्लू का अंत समय समीप है।
प्रश्न 8 - ‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया’ – का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - ‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया’ - इस पंक्ति में लेखिका ने पुनर्जन्म की मान्यता को स्वीकार किया है। लेखिका को लगता है कि गिल्लू अपने अगले जन्म में किसी अन्य प्राणी के रूप में जन्म लेने के लिए मानो इस जीवन मे सो गया है।
प्रश्न 9 - सोनजूही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?
उत्तर - सोनजूही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में इस विश्वास का जन्म होता है कि इस जूही की लता पर वसंत के मौसम में सोनजूही की कली के रूप में खिलकर उनके आँगन मे वह फिर वापस लौट आएगा|
HARSH LATA ATRI
Thnk u mam
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