Class 10 || Paath 1 || Bade Bhai Sahab || पाठ 1 बड़े भाई साहब || जीवन परिचय , सार, पाठ प्रवेश, मुहावरे, प्रश्न उत्तर ||Summary, Jeevan Parichay, Muhavre, Question Answers ||

कक्षा- 10  
स्पर्श, गद्य 
पाठ- 1 

लेखक परिचय

लेखक – प्रेमचंद

जन्म – 1880 बनारस

मृत्यु – 1936

प्रेमचंद ने उपन्यास ,कहानी, नाटक, समीक्षा, संपादकीय,संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की | प्रमुखतया उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवनकाल में ही वे उपन्यास सम्राट की उपाधि से सम्मानित हुए |

        भाषा-शैली –

प्रेमचंद की भाषा सहज,सरल,व्यावहारिक,प्रवाहपूर्ण,मुहावरेदार एवं प्रभावशाली  है तथा उसमें अद्भुत व्यंजना शक्ति भी विद्यमान है |इनकी भाषा पात्रों के अनुसार परिवर्तित होती जाती है |                   इनकी भाषा-शैली वर्णनात्मक,व्यंग्यात्मक,भावात्मक तथा विवेचनात्मक है |


पाठ का सार

प्रस्तुत कहानी के मुख्य पात्र बड़े भाई साहब हैं ,जो अपने छोटे भाई लेखक के साथ छात्रावास में रहते हैं |बड़े भाई छोटे भाई से पाँच साल बड़े हैं तथा कक्षा में तीन दर्जे आगे हैं |वे अपने छोटे भाई के प्रति अपने कर्तव्य को भलीभांति समझते हैं और उसका सही मार्गदर्शन करना चाहते हैं जिसके लिए उन्हें अपने बालमन की इच्छाओं को भी दबाना पड़ता है | अपने छोटे भाई के आगे स्वयं को आदर्श रूप में प्रस्तुत करने के लिए तथा उसे पढ़ने के प्रति प्रेरित करने के लिए वे हरदम किताब खोल कर पढ़ते रहते हैं |किंतु फिर भी वे दो बार अपनी कक्षा में फेल हो जाते हैं जिसका सारा श्रेय वे शिक्षा प्रणाली को देते हैं और लेखक पूरे दिन खेलने व मौज-मस्ती करने के बावजूद अव्वल अंकों से अपनी कक्षा में पास होकर अगली कक्षा में चला जाता है | लेखक को अपने ऊपर घमंड होने लगता है और उसे लगता है कि अब बड़े भाई उससे कक्षा में केवल एक दर्जा ही आगे हैं तो उनको उसको डाँटने का अधिकार भी कम हो गया है तब बड़े भाई उसे बताते हैं कि चाहे लेखक कक्षा में उससे आगे भी चाहे क्यों न निकल जाए ,किंतु तब भी लेखक उससे उम्र व अनुभव मे पाँच साल बड़े हमेशा रहेगे और उसको डाँटने व सही मार्ग पर चलाने का अधिकार उनसे कोई नहीं छीन सकता |पुस्तकीय ज्ञान से अधिक अनुभव के महत्व को समझाने ने के लिए वह दादा तथा हेडमास्टर जी का उदाहरण  उसे  देते हैं ,जिसे सुनकर लेखक को अपनी गलती व लघुता का अहसास होता है और वह बड़े भाई साहब के सामने नतमस्तक हो जाता है |अंत मे बड़े भाई बताते हैं कि उनका भी खेलने व कनकौए उड़ाने का मन करता है किंतु छोटे भाई को बेराह जाने से रोकने के लिए अपनी खेलने व कनकौए उड़ाने की इच्छा को मन में दबाना पड़ता है | 


मुहावरे व उनके अर्थ  -

प्राण सूखना – डर लगना

हँसी खेल होना – छोटी-मोटी बात होना

आँखे फोड़ना – ध्यान से  पढ़ना

जिगर के टुकड़े-टुकड़े होना – दिल पर भारी आघात होना

हिम्मत टूटना – साहस समाप्त होना

दबे पाँव आना – धीरे-धीरे बिना आवाज़ किए आना

आड़े हाथों लेना – कठोरता पूर्ण व्यवहार

घाव पर नमक छिडकना – किसी दुखी को और दुखी करना

गाढ़ी कमाई – मेहनत की कमाई

जी तोड़ मेहनत करना – खूब परिश्रम करना

घुड़कियाँ खाना – डाँट-डपट सहना

तलवार खींचना – लड़ाई के लिए तैयार रहना

अंधे के हाथ बटेर लगना अयोग्य को कोई महत्त्वपूर्ण वस्तु मिल जाना |

चुल्लूभर पानी देने वाला – कठिन समय में साथ देने वाला |

दाँतों पसीना आना – बहुत अधिक परेशानी उठाना |

लोहे के चने चबाना – बहुत अधिक मेहनत करना |

चक्कर खाना – भ्रम/सोच में पड़ना |

आटे-दाल का भाव मालूम होना – कठिनाई का अनुभव होना |

ज़मीन पर पाँव न रखना – बहुत खुश होना |

हाथ-पाँव फूल जाना – घबरा जाना


प्रश्न उत्तर :-

मौखिक 
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए :- 

प्रश्न 1.
कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?

उत्तर-
कथा नायक की रुचि खेलकूद व मौज-मस्ती से भरे कार्यों को करने में थी जैसे- फुटबॉल की उछल-कूद, बॉलीबॉल की फुरती और पतंगबाजी, कागज़ की तितलियाँ उड़ाना, चारदीवारी पर चढ़कर नीचे कूदना, फाटक पर सवार होकर उसे आगे-पीछे चलाना आदि।

प्रश्न 2.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?

उत्तर-
बड़े भाई छोटे भाई से हर समय एक ही सवाल पूछते थे-कहाँ थे?  तथा उसके बाद वे उसे उपदेश देने लगते थे।

प्रश्न 3.
दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?

उत्तर-
दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में यह परिवर्तन आया कि वह स्वयं को पहले की अपेक्षा अधिक स्वच्छंद महसूस करने लगा। वह यह सोचने लगा कि अब वह पढ़े या न पढ़े, पास तो हो ही जाएगा। वह बड़े भाई की सहनशीलता का अनुचित लाभ उठाकर अपना सारा समय कनकौए उड़ाने में व्यतीत करने लगा।

प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे?

उत्तर-
बड़े भाई साहब छोटे भाई (लेखक) से उम्र में 5 साल बड़े थे। वे नौवीं कक्षा में पढ़ते थे।

प्रश्न 5.
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?

उत्तर-
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कभी कापी पर तथा कभी किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्ते, बिल्लियों के चित्र बनाते थे। कभी-कभी वे एक शब्द या वाक्य को अनेक बार लिख डालते, कभी एक शेर को बार-बार सुंदर अक्षरों में नकल करते तथा कभी ऐसी शब्द रचना करते, जो निरर्थक होती

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ( 25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?

उत्तर-
छोटे भाई ने पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय यह सोचा कि अब वह खेल-कूद मे समय बरबाद न करकर अपितु मन लगाकर पढाई करेगा तथा बड़े भाई को शिकायत का कोई अवसर नहीं देगा , इसलिए उसने प्रात: छह बजे से लेकर रात के ग्यारह बजे तक विविध विषय पढ़ने के लिए समय निर्धारित किया |                                                           
वह टाइम-टेबिल का पालन इसलिए न कर पाया  क्योंकि टाइम-टेबिल मे खेलकूद के लिए कोई स्थान नहीं था | मैदान की हरियाली, फुटबॉल की उछल-कूद, बॉलीबॉल की तेज़ी और फुरती उसे अज्ञात और अनिवार्य रूप से खींच ले जाती और वहाँ जाते ही वह सब कुछ भूल जाता।

प्रश्न 2.
एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई ?

उत्तर-
एक दिन छोटा भाई जब दिनभर गुल्ली-डंडा खेलकर बड़े भाई के सामने पहुँचा तो बड़े भाई ने गुस्से में उसे खूब डाँटा । उसे अव्वल अंकों से अगली कक्षा में जाने पर रावण शैतान व शाहेरूम के उदाहरण द्वारा घमंड न करने की सलाह दी और सर्वनाश होने का डर दिखाया तथा खेल में समय बर्बाद करने की बजाए पढ़ने की नसीहत दी ।

प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?

उत्तर-
बड़े भाई साहब लेखक से पाँच साल बड़े थे इसलिए छात्रावास में रहते हुए स्वयं को आदर्श रूप में प्रस्तुत करने तथा अपने बड़े होने की नैतिक ज़िम्मेदारी का कर्तव्यबोध होने के कारण लेखक को अपने मन की इच्छाएँ दबानी पड़ती थीं।

प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों ?

उत्तर-
बड़े भाई साहब छोटे भाई को दिन-रात पढ़ने,अभिमान न करने तथा खेल-कूद में समय न गॅवाने की सलाह देते थे।                                                  छात्रावास में रहने तथा पाँच साल बड़े होने के कारण वे उसे सही राह पर चलाना अपना कर्तव्य व जन्मसिद्ध अधिकार समझते हुए सलाह देते थे।

प्रश्न 5.
छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?

उत्तर-
छोटे भाई (लेखक) ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का अनुचित फ़ायदा उठाया | उसकी स्वच्छंदता बढ़ गई और उसने पढ़ना-लिखना बंद कर दिया। उसके मन में यह भावना बलवती हो गई कि वह पढ़े या न पढ़े परीक्षा में पास तो हो ही जाएगा। इतना ही नहीं, उसने अब अपना सारा समय कनकौए उड़ाने में व्यर्थ करना आरंभ कर दिया।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर-
छोटे भाई को हमेशा खेलकूद व मौजमस्ती पसंद थी | वह खेल-प्रवृत्ति स्वभाव का था इसलिए मेरे विचार में यह सत्य है कि अगर बड़े भाई की डाँट-फटकार छोटे भाई को न मिलती, तो वह कक्षा में कभी भी अव्वल नहीं आ पाता। वह थोड़ी बहुत देर जो पढ़ने के लिए बैठता था वह अप्रत्यक्ष रूप से उनकी डाँट का ही असर था।इस प्रकार बड़े भाई की डाँट-फटकार ने ही उसे कक्षा में प्रथम आने में सहायता की तथा उसकी समय व्यर्थ गँवाने की आदत पर नियंत्रण रखा।

प्रश्न 2.
इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?

उत्तर- इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के निम्नलिखित तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है जैसे :-

बच्चों की व्यावहारिक शिक्षा को नजरअंदाज किया जाता है|
छात्रों पर अनेक विषय पढ़ने का भार होता है |उन्हें रूचि के प्रतिकूल विषय भी पढ़ने पडते हैं|

परीक्षा प्रणाली भी दोषपूर्ण है ,इसमें केवल अंकों को महत्त्व दिया जाता है,समझने को  नहीं |

इस प्रकार शिक्षा प्रणाली में बच्चों के सर्वागीण विकास की ओर ध्यान नहीं दिया जाता|
हाँ,मैं लेखक के विचार से काफ़ी हद तक सहमत हूँ कि शिक्षा व्यवस्था दोषपूर्ण है|इसमें पुस्तकीय ज्ञान व रटंत प्रणाली पर बल दिया जाता है |व्यवहारिक ज्ञान अथवा वास्तविक ज्ञान की महत्ता को नहीं समझाया जाता है| ज्ञान कौशल को बढाने की बजाए उसके रटने पर ज़ोर दिया जाता है|

प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?

उत्तर-
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ अनुभव रूपी ज्ञान से आती है। किताबी ज्ञान से व्यक्ति की केवल सोच विकसित होती है तथा कक्षा पास करके अगली कक्षा में प्रवेश मिलता है|यह पुस्तकीय ज्ञान व्यावहारिक जीवन में उतारे बिना अधूरा है|दुनिया को देखने, परखने तथा बुजुर्गों के जीवन से हमें ऐसे अनुभव रूपी ज्ञान की प्राप्ति होती है जिसके द्वारा हर विपरीत परिस्थिति या समस्या का सामना किया जा सकता है। 

प्रश्न 4.
छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?

उत्तर-
छोटे भाई को खेलना बहुत पसंद था |वह हर समय खेलता ही रहता था | बड़े भाई साहब इस बात पर उसे बहुत डाँटते रहते थे परंतु जब बहुत खेलने के बाद भी वह कक्षा मे अव्वल अंकों से पास हुआ तो उसे स्वयं पर अभिमान हो गया।उसके मन से बड़े भाई का डर भी जाता रहा और एक दिन जब पतंग लूटते समय बड़े भाई साहब ने पकड़ लिया तो उन्होंने उसे आठवीं कक्षा पास सफल व्यक्तियों का उदाहरण देकर समझाया कि अब वह अब बड़ी कक्षा में है और उसका इस तरह पढाई को नजरअंदाज करकर समय व्यर्थ गँवाना उचित नहीं है|                                        उन्होंने उसे बताया कि किस प्रकार वे उसके भविष्य को संवारने के लिए तथा उसे गलत रास्ते पर जाने से रोकने के लिए अपने बालमन की इच्छाओं का दबा रहे हैं जिनको सुनकर छोटे भाई की आँखे खुल गई और समझ मे आया कि उसके अव्वल आने के पीछे भी बड़े भाई की ही प्रेरणा रही है | इस प्रकार उसके मन में अपने प्रति लघुता व बड़े भाई के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हुई |

प्रश्न 5.
बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए?

उत्तर-

बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1.   अध्ययनशील तथा परिश्रमी - वे हमेशा पढ़ते किताब लेकर बैठे रहते, खेल-कूद, क्रिकेट मैच आदि में कोई रुचि नहीं लेते थे।
2.   बुद्धिमान व तर्कशील - कक्षा में दो-दो बार फेल होने के बावजूद वे अपने छोटे भाई को अपने तर्क द्वारा पढ़ने के प्रति प्रेरित करने में हमेशा सफल होते है।
3.   उपदेशकुशल – वह उपदेश देने की कला में माहिर थे इसलिए वह अपने छोटे भाई को पढ़ने व समय बर्बाद न करने का उपदेश देते रहते थे ताकि अपने छोटे भाई को एक सफल इंसान बना सकें।
4.   संयमी व त्यागी स्वभाव - छोटे भाई को व्यर्थ मे समय न गँवाने की नसीहत देने तथा स्वयं को उसके सामने आदर्श रूप में प्रस्तुत करने के लिए उन्हें अपने बालमन की इच्छाओं को भी त्याग देते है|

प्रश्न 6.
बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है?

उत्तर- 
बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से जिंदगी के अनुभव को अधिक महत्त्वपूर्ण माना है। उनका मानना था कि किताबी ज्ञान से केवल बुद्धि का विकास होता है ,जीवन की सही समझ विकसित नहीं हो पाती है।जीवन की सही समझ अनुभव से विकसित होती है। इसी अनुभव से जीवन के सुख-दुख को समझने व जीवन में आने वाली प्रत्येक कठिनाई का हल निकालने की सीख मिलती है।

अम्मा और दादा के उदाहरण तथा हेडमास्टर साहब के उदाहरण द्वारा बड़े भाई यह सिद्ध करते हैं कि चाहे कितनी भी बड़ी डिग्री हो वह जिंदगी के अनुभव के आगे बेकार है| 

प्रश्न 7. 
बताइये पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि 

उत्तर-

(क) छोटा भाई बड़े भाई का आदर करता था?

छोटे भाई को कनकौए उड़ाने का नया शौक हो गया था और अब उसका सारा समय उसी में ही बीतता था|उसका बड़े भाई के प्रति यह आदर ही था कि वह मांझा देना ,कन्ने बाँधना ,पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ उनसे छुप करता था क्योंकि उनको इस तरह से समय बर्बाद करना अच्छा नहीं लगता था इसलिए उनकी नजरों से छिप कर ही वह पतंग उडाता था

(ख) भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है?
भाई साहब का अपने कर्तव्यों के लिए अपनी इच्छाओं को दबाना ,छोटे भाई को कक्षा में अव्वल आने पर घमंड न करने की नसीहत देना इस बात का प्रमाण है कि भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।

(ग) भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है?
जब भाई साहब ने कटी पतंग देखी तो लम्बे होने की वजह से उछलकर डोर पकडना और बिना सोचे समझे हॉस्टल की ओर दौड़ पड़ना,यह दर्शाता है कि भाई साहब के अंदर भी एक बच्चा है।
(घ) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं? 
भाई साहब का अपनी बचपन की खेलने की इच्छाओं को नियंत्रण में रखना तथा छोटे भाई को पढ़ने के लिए कहना व समय व्यर्थ करने पर डाँटना इस बात का प्रमाण है कि भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।






HARSH  LATA  ATRI

Comments

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