TOP || तोप || Sparsh || स्पर्श || कक्षा 10 || कवि परिचय || सार || प्रश्नोंउत्तर || Kavi Parichay || Summary || Question Answer || Class 10



कवि परिचय :-







सार :-


 


   कंपनी बाग के मुहाने पर

धर रखी गई है यह 1857 की तोप

 इसकी होती है बड़ी सम्हाल, विरासत में मिले 

कंपनी बाग की तरह

साल में चमकाई जाती है दो बार ।


सुबह-शाम कंपनी बाग में आते हैं बहुत से सैलानी

उन्हें बताती है यह तोप

कि मैं बड़ी जबर

उड़ा दिए थे मैंने

अच्छे-अच्छे सूरमाओं के धज्जे अपने ज़माने में

( ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी सदियों पहले भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आई थी। भारत में तब छोटी-छोटी बहुत-सी रियासतें थीं जिनमें अकसर झूठे अहम की खातिर युद्ध भी होते रहते थे। एक रियासत दूसरी रियासत का अहित चाहने या करने में जरा भी संकोच नहीं करती थी। पारिवारिक कलह भी चरम पर थे। एक बड़े हिस्से पर मुगल वंश का शासन था। विदेशियों का सदा स्वागत करने को तत्पर यहाँ की जनता और राजघरानों ने अंग्रेजों को भी व्यापार करने की अनुमति दे दी। कंपनीवालों ने यहाँ की रियासतों के आपसी मनमुटाव को भाँपकर यह जान लिया कि यदि इनपर एक-एक कर कब्जा किया जाए तो कोई किसी का साथ देने आगे नहीं आएगा। सबसे पहले कंपनी ने अपनी पूंजी और सामान की देखभाल, रक्षा के नाम पर सैनिक रखने की अनुमति हासिल की, फिर उन्हीं सैनिकों के दम पर एक-एक रियासत को अपने कब्ते में करती गई।

1857 तक हालत यह हो गई कि आधी से ज्यादा भारतभूमि ईस्ट इंडिया कंपनी के कब्ते में चली गई। तब झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और अन्य कई रियासतों के राजाओं ने संगठित होकर भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम छेड़ा। इसे ध्वस्त करने के लिए अंग्रेजों ने ब्रिटेन से कई तोपें मँगवाई, जिन्होंने आग उगल-उगलकर सैकड़ों भारतीय वीरों का जीवन ले लिया। उस दौर तक और उसके बाद भी अंग्रेजों द्वारा बनवाए गए बाग 'कंपनी बाग' नाम से मशहूर हुए। हालाँकि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत पर सीधे-सीधे ब्रिटिश राजघराना राज करने लगा था।)


सरलार्थ : ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनवाए गए बाग के प्रवेश द्वार पर एक तोप रखी है, जिसने 1857 के युद्धकाल में अंग्रेज़ों की ओर से भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर आग उगली थी। अंग्रेज़ तो यहाँ से चले गए और यह कंपनी बाग और तोप हमें विरासत में दे गए। अब उस गुलाम युग की इन धरोहरों-बाग और तोप को साल में दो बार चमकाया जाता है (15 अगस्त और 26 जनवरी अर्थात स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर) और इस तरह वीर सेनानियों के बलिदान को याद किया जाता है। 

कवि कल्पना करता है कि कंपनी बाग में जो लोग सुबह-शाम सैर के लिए आते हैं, उन्हें यह तोप बताती है कि अपने जमाने में यानी जब तोपें युद्ध में काम में लाई जाती थी, तब मैं बहुत भारी, मारक क्षमतावाली हुआ करती थी। जब मुझमें बारूद भरकर गोले दागे गए थे, तब मैंने कई महाबलियों के चीथड़े उड़ा दिए थे।

अब तो बहरहाल 

छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फ़ारिग हो

तो उसके ऊपर बैठकर

चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप 

कभी-कभी शैतानी में वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं

खास कर गौरैयें 

वे बताती हैं कि दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप 

एक दिन तो होना ही है उसका मुँह बंद ।

सरलार्थ: इन दिनों तोप का हाल यह है कि छोटे लड़के इसपर बैठकर घुड़सवारी का आनंद लेते हैं। जब यह लड़कों की गिरफ़्त से मुक्त होती है या वे एक ही शैतानी खेल को खेलते-खेलते ऊब जाते हैं, तब इसपर कई चिड़ियाँ आकर बैठ जाती हैं  और आपस में बातें करती है। कभी-कभी वे शरारतन इसके बड़े-से मुँह के रास्ते भीतर भी घुस जाती हैं। चिड़ियों की बिरादरी में सबसे नाजुक, हलकी-फुलकी, कोमल गौरैय भीतर घुसने के मामले में ज्यादा रुचि दिखाती हैं। वे बताती हैं कि जब किसी देश की जनता का स्वाभिमान जाग जाता है तब सत्ता का आतंक बनाए रखने में मददगार रही, आग उगलती तोप का मुँह भी बंद होता ही होता है अर्थात क्रूर से क्रूर व शक्तिशाली शासक का भी  एक दिन अंत निश्चित है।






क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.

विरासत में मिली चीजों की बड़ी सँभाल क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

विरासत में मिली चीजों की बहुत संभाल की जाती है क्योंकि उनसे हमारा भावात्मक संबंध 

व यादें जुड़ी होती है| वह हमें हमारी परंपरा, पूर्वजों और इतिहास का बोध कराती है|इतिहास 

की उपलब्धियों व त्रुटियो को इन्हीं के माध्यम से आंका जाता है| गलतियों से सीख ली 

जाती है तथा उपलब्धियों का सम्मान किया जाता है |


प्रश्न 2.

इस कविता से आपको तोप के विषय में क्या जानकारी मिलती है?

उत्तर-

इस कविता में हमें अलग-अलग कालो में तोप के उपयोग के विषय में पता चलता है। 

1857 में यह संहार का प्रतीक थी, शक्तिशाली हथियार थी, तथा अंग्रेजों ने इसे अपनी 

प्रशंसनार्थ कंपनी बाग के मुहाने पर खड़ा किया था । इसी तोप की सहायता से अनेक 

वीरों, स्वतंत्रता सेनानियों के प्राण गए थे लेकिन आज यह तोप शांत व निष्क्रिय खडी है। 

केवल दर्शनीय वस्तु बन कर रह गई है। बच्चे इस पर घुड़सवारी करते हैं और चिड़ियाँ गपशप करती हैं और इसकी नाल के भीतर घुसकर इसे मनोरंजन का साधन सिद्ध करती है ।


प्रश्न 3.

कंपनी बाग में रखी तोप क्या सीख देती हैं?

उत्तर -

कंपनी बाग में रखो तोप अंग्रेजों के शोषण और अत्याचार की प्रतीक है। यह याद दिलाती है कि किस प्रकार अंग्रेजों ने हमारे वीरों का संहार किया था। इससे हमें सीख मिलती है कि हमें अपने तथा अपने देश के अधिकारों, सुरक्षा तथा हितों के प्रति सचेत एवं सतर्क रहना है ताकि भविष्य में कोई शत्रु हमारे देश पर आक्रमण व कब्जा न कर पाए। हम किसी के शोषण का शिकार न बन सके। यदि कभी ऐसी नौबत आ भी जाए तो हम शत्रु को एकजुट होकर मुंहतोड़ जवाब दे सकें। इससे हमे यह भी सीख मिलती है कि शत्रु चाहे कितना भी अत्याचारी या क्रूर क्यों न हो, अत्याचार, शोषण और क्रूरता का एक दिन अंत होता ही है।आज यह उपेक्षितों और पक्षियों के उपहास का पात्र है। यही हाल शोषकों का भी होता है। इस प्रकार यह तोप केवल शांतिप्रिय देशवासियों को हो सीख नहीं देती अपितु  यह 

अत्याचारियों को भी सबक सिखाती है।

 

प्रश्न 4.

कविता में तोप को दो बार चमकाने की बात की गई है। ये दो अवसर कौन-से होंगे ?

उत्तर -

कविता में तोप को दो बार चमकाने की बात की गई है। ये दो अवसर 15 अगस्त और 26 

जनवरी हो सकते है। इन दोनों अवसरों पर देश के वीरों को याद किया जाता है और 

तत्कालीन धरोहरों, इमारतों एवं वस्तुओं को झाड़ू-पोंछकर साफ किया जाता है और 

चमकाया जाता है।

 

अतिरिक्त प्रश्न -

प्रश्न 1. 'तोप' कविता के माध्यम से कवि ने क्या संदेश दिया है ?

उत्तर:

इस कविता के माध्यम से कवि ने पूर्व की गई गलतियों को न दोहराने का संदेश दिया है।

कवि कहता है कि कंपनी बाग के प्रवेश द्वार पर रखी तोप हमारी धरोहर के रूप में हमारे 

सामने विद्यमान है। यह वही तोप है जो सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में 

अँग्रेज़ों द्वारा प्रयोग की गई थी। यह तो हमें विरासत में मिली है। अतः इसकी बहुत देखभाल की जाती है तथा वर्ष में दो बार तो इसे खूब चमकाया जाता है। यह तोप इस कंपनी बाग आने वाले लोगों के आकर्षण का केंद्र भी है। ऐसा लगता है मानों यह अपने बारे में बता रही हो कि पहले वह बड़ी शक्तिशाली थी और बड़े-बड़े वीरों की धज्जियाँ उड़ाने में सक्षम थी। कवि कहता है कि अब यह तोप बिलकुल निरर्थक हो गई है। अब कंपनी बाग में घूमने आए लड़के इस पर घुड़सवारी करते हैं। कभी-कभी चिड़ियाँ इस पर बैठी रहती हैं और आपस में बातें करती प्रतीत होती हैं। कई बार तो गौरये भी इसके भीतर घुस जाती हैं और इससे शरारतें करती हैं। वे गौरयें मानों यह कह रही हों कि कोई तोप चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो, उसका मुँह एक न एक दिन अवश्य बंद हो जाता है। कवि इस कविता के माध्यम से सचेत करना चाहते हैं कि हमें 'ईस्ट इंडिया कंपनी' जैसी कंपनियों को अपने देश में पाँव जमाने नहीं देना चाहिए। यदि ऐसा हो गया तो हमारा देश पुनः गुलाम हो सकता है। इस प्रकार यह कविता स्वतंत्रता का महत्त्व प्रतिपादित करती है । 




Comments