चित्र-वर्णन || Class 9 ||

 चित्र-वर्णन

हम जब कोई चित्र देखते हैं, तब उसे देखकर हमारे मन में कुछ विचार उठते हैं। किसी भी वस्तु, दृश्य या चित्र को देखकर मन में अनेक भाव जन्म लेते हैं। उनके प्रति प्रत्येक व्यक्ति का अपना अलग दृष्टिकोण होता है। मन में उठे विचारों एवं भावों को सशक्त एवं प्रभावशाली भाषा के माध्यम से व्यक्त करना ही चित्र वर्णन कहलाता है।

वर्णन के लिए दिए गए चित्र किसी विशेष घटना, किसी स्थिति, विशेष व्यक्ति विशेष तथा प्रकृति से संबंधित हो सकते हैं।


चित्र-वर्णन करते समय ध्यान देने योग्य बातें :- 

  1. सर्वप्रथम हमें चित्रों को ध्यान से देखना चाहिए। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखने के बाद हमें उसमें दिखाई गई घटना को समझने का प्रयास करना चाहिए।
  2. चित्र को देखकर मन में आए भावों को क्रम से लिखना चाहिए।
  3. चित्र-वर्णन करते समय हमें अपनी कल्पना-शक्ति का प्रयोग करते हुए उसे रचना या लेख का रूप देना चाहिए।
  4. भावों को अभिव्यक्त करने के लिए प्रभावशाली भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
  5. प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन करते समय कल्पना-शक्ति का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए।
  6. चित्र-वर्णन करते समय हमें आडंबरपूर्ण वर्णन से बचना चाहिए।
  7. शब्द सीमा का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  8. मूल विषय से संबंधित ही वर्णन करना चाहिए।


1. नीचे दिए गए चित्र में दिखाई दे रहे दृश्य घटना का कल्पनाशक्ति के आधार पर वर्णन कीजिए।

उत्तर   यह चित्र एक शहरी परिवार के भोजन का है। घर को बहुत अच्छे ढंग से सजाया गया है। डाइनिंग टेबल पर माता-पिता और बच्चे भोजन कर रहे हैं। माता-पिता के साथ एक लड़का और लड़की भी हैं। लड़का माँ के पास और लड़की पिता के पास वैठी हुई है। चारों भोजन कर रहे हैं। डाइनिंग टेविल के पीछे वॉस-वेसिन लगा हुआ है। उसके पास ही एक तौलिया रखने वाला भी बनाया गया है। घर में एक तरफ टेलीविजन भी लगा हुआ है। भोजन करते समय चारों आपस में बात कर रहे हैं। खाना परोसने का कार्य माँ कर रही हैं। चारों आपस में बात करते हुए प्रसन्न दिख रहे हैं। भोजन करने की यह शैली विदेशी है। देशी शैली में हम जमीन पर बैठकर भोजन करते हैं।


2. नीचे दिए गए चित्र में दिखाई दे रहे दृश्य घटना का कल्पनाशक्ति के आधार पर वर्णन कीजिए।

उत्तर   यह चित्र एक उद्यान का है। उद्यान का दृश्य बड़ा भी मनोहारी एवं आकर्षक है। उद्यान के चारों ओर अनेक तरह के फूल खिले हुए हैं। उद्यान में आने-जाने वालों के लिए एक सड़क भी है। सड़क के किनारे भी खूबसूरत फूल खिले हुए हैं। उद्यान में खिले हुए अनेक तरह के फूल उद्यान की सुदंरता में चार चाँद लगा रहे हैं। फूलों पर मंडराती तितलियाँ सुंदर लग रही हैं। भौरे फूलों के मधुर रस का पान कर रहे हैं। उद्यान में एक बड़ा वृक्ष भी है, जो घना एवं छायादार है। इसके नीचे एक बेंच रखी हुई है। उद्यान में किसी स्कूल के कुछ छात्र-छात्राएँ घूमने आए हैं जो देखने में सुंदर लग रहे है। इस बेंच पर बैठे उसी स्कूल के दो छात्र आपस में बातें कर रहे हैं। वहाँ खड़ी एक छात्रा उनसे कुछ पूछ रही है। दो छात्राएँ सड़क पर घूमते हुए आपस में बातें कर रही हैं। उद्यान में घूमने से मन प्रसन्न होता है और मन में ताज़गी आती है।


3. नीचे दिए गए चित्र में दिखाई दे रहे दृश्य घटना का कल्पनाशक्ति के आधार पर वर्णन कीजिए।

उत्तर    इस चित्र में वृक्ष की एक डाल पर बना घोंसला दिखाई दे रहा है। उसमें ऊपर की ओर खुली चोंच करके बैठे हुए हैं चिड़िया के तीन बच्चे एवं घोंसले 'के कोने पर चिड़िया बैठी हुई है। चिड़िया अपनी चोंच में स्थित अनाज के दानों को अपने नन्हे बच्चों की चोंच में डालकर उनकी भूख को शांत कर रही है।
इस दृश्य में डाल की मजबूती, शाखाओं के मध्य का स्थान तथा पोंसले को देखने के पश्चात् हम चिड़िया की समझदारी पर सोचने को विवश हो जाते हैं। नन्ही-सी, साधारण-सी दिखने वाली चिड़िया अपनी सुझ-बूझ एवं समझदारी से कितना सुंदर घोंसला बनाती है।
वह चारों ओर उड़कर घोंसले के निर्माण के लिए आवश्यक पदार्थ जैसे-घास, तिनके, धागे इकट्ठे करती है। नन्ही-सी जान कई दिनों के अथक परिश्रम के बाद आवश्यक वस्तुएँ इकट्ठी करके जिस तन्मयता से उन्हें संवार कर रखती है। नवजात शिशुओं की रक्षा एवं उनकी उदरपूर्ति माँ की जिम्मेदारी होती है। मादा चिड़िया चारों ओर घूम-घूमकर अपने बच्चों के लिए अनाज के दाने ढूँढ़ती है। उड़ते-उड़ते जहाँ कहीं भी उसे अनाज के दाने दिखाई दे जाते हैं, वह अनाज के उन दानों को अपनी चोंच में सुरक्षित दबाकर अपने घोंसले में ले आती है। प्रतीक्षारत भूखे बच्चों की चोंच में अपनी चोंच से दाना डालकर उनका पेट भरती है।




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