समास || Samas || व्याकरण || कक्षा 10
समास – संक्षिप्त करने की प्रक्रिया या संक्षेपीकरण को समास कहते हैं अर्थात दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से जो एक नया सार्थक शब्द बनता है, उसे समास कहते हैं |
समस्त पद – सामासिक प्रक्रिया में बनने वाले नए सार्थक शब्द को समस्तपद कहते हैं जैसे—यथामति
पूर्वपद – समस्तपद के पहले पद को पूर्वपद कहते हैं|
उत्तरपद – समस्त पद के दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं|
समासविग्रह – समस्त पद में प्रयुक्त शब्दों को पहले जैसी स्थिति में(अलग-अलग) करना समास विग्रह कहलाता है|
जैसे-
- यथामति
समस्तपद – यथामति
पूर्वपद – यथा
उत्तरपद – मति
समास विग्रह – मति के अनुसार
समास के भेद –
1 अव्ययीभाव समास
2 कर्मधारय समास
3 तत्पुरुष समास
4 दविगु समास
5 द्वंद्व समास
6 बहुव्रीहि समास
अव्ययीभाव समास – जिस समास में पूर्वपद प्रधान एवं अव्यय होता है तथा उत्तर पद संज्ञा या विशेषण होता है , उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं |
अव्ययीभाव समास प्राय: आ , यथा , प्रति आदि अव्ययों के योग से बनते हैं |
एक ही शब्द की पुनरावृति होने पर भी अव्ययीभाव समास होता है ।
उदाहरण –
समस्त पद विग्रह
यथाशक्ति शक्ति के अनुसार
प्रतिदिन प्रत्येक दिन
हाथोंहाथ हाथ ही हाथ में
उपराज्य राज्य के समीप
निडर बिना डरे
निस्संदेह बिना संदेह के
गाँव-गाँव प्रत्येक गाँव
बखूबी खूबी के साथ
बेकाम बिना काम
प्रत्यक्ष आँखों के सामने
निहत्था बिना हथियार के
साफ-साफ बिल्कुल साफ
यथाशीघ्र जितना शीघ्र हो
यथाक्रम क्रम के अनुसार
यथाविधि विधि के अनुसार
यथावसर अवसर के अनुसार
यथेच्छा इच्छा के अनुसार
प्रतिदिन प्रत्येक दिन / हर दिन
प्रत्येक हर एक / एक - एक / प्रति एक
हाथों हाथ हाथ ही हाथ में
रातोंरात रात ही रात में
बीचोंबीच ठीक बीच में
साफसाफ साफ के बाद साफ / बिल्कुल साफ
आमरण मरने तक / मरणपर्यन्त
आसमुद्र समुद्रपर्यन्त
भरपेट पेट भरकर
आजीवन जीवनपर्यन्त
निर्विवाद बिना विवाद के
दरअसल असल में
बाकायदा कायदे के अनुसार
कर्मधारय समास – जिस समास के पूर्वपद तथा उत्तरपद के मध्य विशेषण-विशेष्य या उपमान-उपमेय का सम्बंध होता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं |
इसका उत्तरपद प्रधान होता है|
विग्रह करते समय दोनों पदो के बीच में के समान/ है जो का प्रयोग होता है|
उदाहरण – विशेषण – विशेष्य
समस्त पद विग्रह
नीलकमल नीला है जो कमल
कालीमिर्च काली है जो मिर्च
महात्मा महान है जो आत्मा
सज्जन सत् है जो जन
पर्णकुटी पर्ण से बनी है जो कुटी
श्वेताम्बर श्वेत है जो अम्बर
शुभागमन शुभ है जो आगमन
महाजन महान है जो जन
अंधकूप अंधा है जो कूप
सत्धर्म सच्चा है जो धर्म
पीताम्बर पीला है जो अम्बर
महारानी महान है जो रानी
शुभागमन शुभ है जो आगमन
वीरोचित वीरो के लिए उचित है जो
उपमान – उपमेय
समस्त पद विग्रह
चंद्रमुखी चंद्र के समान मुख
देहलता देह रूपी लता
वज्रदेह वज्र रूपी देह
क्रोधाग्नि क्रोध रूपी अग्नि
स्त्रीरत्न रत्न के समान स्त्री
घनश्याम घन के समान श्याम
कनकलता कनक के समान लता
भवसागर भवरूपी सागर
चरणकमल कमल रूपी चरण
कमलनयन कमल के समान नयन
बुद्धिबल बुद्धि रूपी बल
तत्पुरुष समास – जिस सामासिक शब्द का उत्तर पद प्रधान व पूर्वपद गौण होता है तथा दोनों पदों के बीच लगे परसर्गो (विभक्ति चिह्नों) का लोप हो , उसे तत्पुरुष समास कहते हैं |
विभक्ति के आधार पर तत्पुरुष समास के 6 उपभेद हैं -
कर्म तत्पुरुष
करण तत्पुरुष
सम्प्रदान तत्पुरुष
अपादान तत्पुरुष
संबंध तत्पुरुष
अधिकरण तत्पुरुष
कर्म तत्पुरुष – जहाँ पूर्वपद में कर्मकारक की विभक्ति (को) का लोप हो,वहाँ कर्म तत्पुरुष समास होता है|
उदाहरण - समस्त पद विग्रह
शरणागत शरण को आया हुआ
ग्रामगत ग्राम को गया हुआ
यशप्राप्त यश को प्राप्त
स्वर्गप्राप्त स्वर्ग को प्राप्त
करण तत्पुरुष – जहाँ पूर्वपद में करण कारक की विभक्ति(से , के द्वारा) का लोप हो,वहाँ करण तत्पुरुष समास होता है|
उदाहरण - समस्त पद विग्रह
रेखांकित रेखा से अंकित
पापयुक्त पाप से युक्त
भयाकुल भय से आकुल
स्वरचित स्वय द्वारा रचित
संप्रदान तत्पुरुष – जहाँ समास के पूर्वपद में संप्रदान की विभक्ति(के लिए) का लोप होता है वहाँ संप्रदान तत्पुरुष समास होता है |
उदाहरण - समस्त पद विग्रह
देशभक्ति देश के लिए भक्ति
सत्याग्रह सत्य के लिए आग्रह
विद्यालय विद्या के लिए आलय
राहखर्च राह के लिए खर्च
बलिपशु बलि के लिए पशु
युद्धभूमि युद्ध के लिए भूमि
अपादान तत्पुरुष - जहाँ समास के पूर्वपद में अपादान( से,अलग होना, तुलना करने, लज्जा केअर्थ मे, भय के अर्थ मे) की विभक्ति का लोप होता है,वहाँ अपादान तत्पुरुष होता है|
उदाहरण - समस्त पद विग्रह
धनहीन धन से हीन
भयभीत भय से भीत
पथभ्रष्ट पथ से भ्रष्ट
आशातीत आशा से अतीत
रोगमुक्त रोग से मुक्त
देशनिकाला देश से निकला
जन्मांध जन्म से अंधा
शक्तिविहिन शक्ति से विहीन
संबंध तत्पुरुष - जहाँ समास के पूर्वपद में संबंध ( का,के,की) की विभक्ति का लोप होता है,वहाँ अपादान तत्पुरुष होता है|
उदाहरण - समस्त पद विग्रह
राजदूत राजा का दूत
गंगाजल गंगा का जल
घुड़दौड़ घोड़ों की दौड़
देवमूर्ति देव की मूर्ति
पराधीन पर के अधीन
जीवनसाथी जीवन का साथी
ईश्वरभक्त ईश्वर का भक्त
अधिकरण तत्पुरुष - जहाँ समास के पूर्वपद में अधिकरण (में,पर) की विभक्ति का लोप होता है,वहाँ अधिकरण तत्पुरुष होता है|
उदाहरण - समस्त पद विग्रह
आत्मविश्वास आत्म पर विश्वास
वनवास वन में वास
घुड़सवार घोड़े पर सवार
जगबीती जग पर बीती
कार्यकुशल कार्य मे कुशल
लोकप्रिय लोक मे प्रिय
आनंदमग्न आनंद मे मग्न
दविगु समास – जिस समास में पूर्वपद संख्यावाचक हो , वह दविगु समास कहलाता है |
उदाहरण - समस्त पद विग्रह
चौमासा चार मासों का समूह
शताब्दी एक सौ वर्षों का समूह
अष्टाध्यायी आठ अध्यायों का समाहार
दोपहर दो पहरों का समाहार
चौराहा चार राहों का समाहार
त्रिफला तीन फलो का समाहार
नवनिधि नौ निधियो का समूह
पंजाब पाँच आबो का समूह
सतसई सात सौ दोहो का समूह
तिरंगा तीन रंगो का समाहार
दुराहा दो राहो का समूह
द्वंद्व समास – जिस समास में दोनों पद समान रूप से प्रधान होते हैं , उसे द्वंद्व समास कहते हैं |
· विग्रह करते समय और / अथवा / या योजक शब्दों का प्रयोग किया जाता है |
उदाहरण - समस्त पद विग्रह
रात –दिन रात और दिन
राजा –रंक राजा और रंक
पाप –पुण्य पाप या पुण्य
छोटा –बड़ा छोटा या बड़ा
रुपया –पैसा रुपया और पैसा
देश-विदेश देश और विदेश
अन्न-जल अन्न और जल
भला- बुरा भला और बुरा
भीम-अर्जुन भीम और अर्जुन
सुख- दुख सुख और दुख
माता-पिता माता और पिता
खरा-खोटा खरा और खोटा
धन -दौलत धन और दौलत
लव-कुश लव और कुश
आय-व्यय आय और व्यय
नर-नारी नर और नारी
पार्वती-परमेश्वर पार्वती और परमेश्वर
जय- पराजय जय और पराजय
यश-अपयश यश औरअपयश
दादा-दादी दादा और दादी
गुण-दोष गुण और दोष
बहुव्रीहि समास – जिस समास में पूर्व पद और उत्तर पद में से कोई पद प्रधान नहीं होता , अपितु दोनों पद मिलकर किसी अन्य तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं |
उदाहरण - समस्त पद विग्रह
दशानन दस आनन हैं जिसके अर्थात् रावण
चन्द्रशेखर चंद्र है शिखर पर जिसके अर्थात शिवजी
मृत्युंजय मृत्यु को जीत लिया है जिसने अर्थात शिवजी
गिरिधर गिरि को धारण किया है जिसने अर्थात कृष्ण जी
एकदंत एक दंत है जिसका अर्थात् गणेशजी
अंशुमाली अंशु हैं मालाएँ जिसकी अर्थात् सूर्य
चतुर्भुज चार भुजाएँ है जिसकी अर्थात शिवजी
तपोधन तप है धन जिसका अर्थात तपस्वी
पीताम्बर पीला अम्बर है जिसका अर्थात कृष्ण जी
जलज जल मे जन्म लेने वाला अर्थात कमल
मेघनाद मेघ के समान नाद करने वाला अर्थात रावण पुत्र
पद्मासना पद्म कमल के आसन पर बैठती है जो अर्थात सरस्वती जी
दिगम्बर दिशाएँ है अम्बर जिसकी अर्थात जैन मुनि
गंगाधर गंगा को धारण किया है जिसने अर्थात शिव जी
श्वेतवसना श्वेत वसन धारण किए है जिसके अर्थात सरस्वती जी
सहस्रबाहु सहस्र बाहु हैं जिसकी अर्थात दैत्यराज
सुलोचना सुन्दर लोचन हैं जिसके अर्थात कोई स्त्री
अभ्यास प्रश्न-
निर्देशानुसार समास' पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(1) एकदंत में कौन-सा समास है ?
(2) भीमार्जुन में कौन-सा समास है तथा कैसे?
(3) द्विगु समास में पूर्व पद और उत्तर पद की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
(4) कर्मधारय समास की विशेषता बताते हुए एक उदाहरण दीजिए।
(5) 'पद्मासना' सामासिक पद का विग्रह करते हुए भेद लिखिए।
(6) अव्ययीभाव 'समास किसे कहते हैं?
(7) सामासिक पद का विग्रह करने पर किस प्रकार का अर्थ उत्पन्न होता है?
(8) 'पाप-पुण्य' द्वंद्व समास है कैसे?
(9) तत्पुरुष समास में उत्तर पद की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
(10) जलज मे कौन-सा समास है?
उत्तर-
1) बहुव्रीहि समास
2) भीमार्जुन मे द्वंद्व समास है क्योंकि यहाँ पूर्वपद तथा उत्तरपद दोनो प्रधान है।
3) द्विगु समास में पूर्व पद संख्यावाचक और उत्तर पद संज्ञा होता है।
4) जिस समास के पूर्वपद तथा उत्तरपद के मध्य विशेषण-विशेष्य या उपमान-उपमेय का सम्बंध होता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं |इसका उत्तरपद प्रधान होता है| तथा विग्रह करते समय दोनों पदो के बीच में के समान/ है जो का प्रयोग होता है|
5) पद्मासना पद्म कमल के आसन पर बैठती है जो अर्थात सरस्वती जी
बहुव्रीहि समास
6) जिस समास में पूर्वपद प्रधान एवं अव्यय होता है तथा उत्तर पद संज्ञा या विशेषण होता है , उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं |
अव्ययीभाव समास प्राय: आ , यथा , प्रति आदि अव्ययों के योग से बनते हैं |जैसे- निडर - बिना डरे
एक ही शब्द की पुनरावृति होने पर भी अव्ययीभाव समास होता है । जैसे-गाँव-गाँव प्रत्येक गाँव
7) सामासिक पद का विग्रह करने पर विशेष अर्थ उत्पन्न होता है।
8) 'पाप-पुण्य' में पाप और पुण्य दोनों पद प्रधान हैं। द्वंद्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं। इसलिए यहाँ द्वंद्व समास है।
9) तत्पुरुष समास में उत्तर पद प्रधान होता है।
10) बहुव्रीहि समास
कार्य-पत्र - 1
निम्नलिखित शब्दो मे उचित समास-विग्र्ह करके समास का नाम लिखिए-
- सालोंसाल
- भरपूर
- शोकाकुल
- करकमल
- भाई-बहन
- यथासाध्य
- घी-शक्कर
- त्रिंनेत्र
- वंशीधर
- चतुर्भुज
- कलाप्रवीण
- घर-घर
- बच्चे-बूढे
- परमानंद
- अधपका
- आत्मसम्मान
- त्रिभुवन
- प्रधानाध्यापक
- ईश्वरप्रदत्त
- यथाक्रम
- गाय-बैल
- पीताम्बर
- अकाल-पीडित
- महायुद्ध
- आशातीत
- जन्मांध
- दीनानाथ
- नीलकंठ
- वनवासी
- धूप-दीप
- भरसक
- सप्ताह
- वेद-पुराण
- बखूबी
- सुलोचना
- नवग्रह
- चंद्रशेखर
- देहलता
- महामंत्री
- विद्यारत्न
- अठन्नी
- मनमाना
- चंद्रभाल
उत्तर -
- प्रत्येक साल , अव्ययीभाव समास
- पूरा भरा हुआ , अव्ययीभाव समास
- शोक से आकुल ,तत्पुरुष समास
- कमल रूपी कर , कर्मधारय समास
- भाई और बहन , द्वंद्व समास
- साध्य के अनुसार , अव्ययीभाव समास
- घी और शक्कर , द्वंद्व समास
- तीन नेत्र है जिसके अर्थात शिवजी , बहुव्रीहि समास
- वंशी(बांसुरी) को धारण किया है जिसने ,बहुव्रीहि समास
- चार भुजा हैं जिसकी अर्थात शिवजी , बहुव्रीहि समास
- कला मे प्रवीण , तत्पुरुष समास
- प्रत्येक घर , अव्ययीभाव समास
- बच्चे और बूढे , द्वंद्व समास
- परम है जो आनंद , कर्मधारय समास
- आधा पका है जो , अव्ययीभाव समास
- स्वय का सम्मान , अव्ययीभाव समास
- तीन भुवनो का समूह , दविगु समास
- प्रधान है जो अध्यापक , कर्मधारय समास
- ईश्वर द्वारा प्रदत्त , तत्पुरुष समास
- क्रम के अनुसार , अव्ययीभाव समास
- गाय और बैल , द्वंद्व समास
- पीत है जो अम्बर , कर्मधारय समास
- अकाल से पीडित , तत्पुरुष समास
- महान है जो युद्ध , कर्मधारय समास
- आशा से अधिक , तत्पुरुष समास
- जन्म से अंधा , तत्पुरुष समास
- दीनो के नाथ , तत्पुरुष समास
- नीला है जिसका कंठ , कर्मधारय समास
- वन का वासी , तत्पुरुष समास
- धूप और दीप , द्वंद्व समास
- पूरी शक्ति से , अव्ययीभाव समास
- सात दिनो का समूह , दविगु समास
- वेद और पुराण , द्वंद्व समास
- बहुत खूब , अव्ययीभाव समास
- सुन्दर लोचन हैं जिसके अर्थात सुंदर स्त्री , बहुव्रीहि समास
- नौ ग्रहो का समूह , दविगु समास
- चंद्र है शिखर पर जिसके ,बहुव्रीहि समास
- देह रुपी लता , कर्मधारय समास
- महान है जो मंत्री , कर्मधारय समास
- विद्या रूपी रत्न , कर्मधारय समास
- आठ आन्नो का समूह , दविगु समास
- मन से माना , तत्पुरुष समास
- चंद्र है मस्तक पर जिसके अर्थात शिवजी , बहुव्रीहि समास
कार्य-पत्र - 2
1. समास का शाब्दिक अर्थ क्या होता है-
क) संक्षेप
ख) विस्तार
ग) विग्रह
घ) विच्छेद
2. इन में से कौन सा अव्ययीभाव पद है-
क) गृहागत
ख) आचारकुशल
ग) प्रतिदिन
घ) कुमारी
3. निम्न में कौन सा कर्मधारय समास है-
क) चक्रपाणी
ख) चतुर्युगम
ग) श्वेतांबर
घ) माता-पिता
4. गजानन
में कौन सा समास है-
क) द्वंद्व
ख) बहूव्रीहि
ग) तत्पुरुष
घ) कर्मधारय
5. देवासुर में कौन सा समास है
)क बहूव्रीहि
ख) कर्मधारय
ग) तत्पुरुष
घ) द्वंद्व
6. वनगमन में कौन सा समास है-
क) बहुव्रीहि
ख) द्विगु
ग) तत्पुरुष
घ) कर्मधारय
7. पंचतंत्र में कौन सा समास है-
क) कर्मधारय
ख) बहूव्रीहि
ग) द्विगु
घ) द्वंद्व
8. देशभक्ति कौन सा समास है-
क) द्विगु
ख) तत्पुरुष
ग) द्वंद्व
घ) बहुव्रीहि
9. कौन सा बहुव्रीहि समास का उदाहरण है-
क) निशिदिन
ख) त्रिभुवन
ग) नीलकंठ
घ) पुरुषसिंह
10. त्रिलोचन में कौन सा समास है-
क) अव्ययीभाव
ख) कर्मधारय
ग) बहुव्रीहि
घ) इनमे
से कोई नहीं
11. चौराहा में कौन सा समास है-
क) बहूव्रीहि
ख) तत्पुरुष
ग) अव्ययीभाव
घ) द्विगु
12. दशमुख में कौन सा समास है-
क) कर्मधारय
ख) बहुव्रीहि
ग) तत्पुरुष
घ) द्विगु
13. महादेव में कौन सा समास है
क) तत्पुरुष
ख) अव्ययीभाव
ग) कर्मधारय
घ) द्वंद्व
15. विशेषण
और विशेष्य के योग से कौन सा समास बनता है-
क) द्विगु
ख) द्वंद्व
ग) कर्मधारय
घ) तत्पुरुष
16. किस शब्द में द्विगु समास है-
क) आजीवन
ख) भूदान
ग) सप्ताह
घ) पुरुषसिंह
18.किसमें सही सामासिक पद है-
क) पुरुषधन्वी
ख) दिवारात्रि
ग) त्रिलोकी
घ) मंत्रीपरिषद
19. द्विगु समास का उदाहरण है-
क) अन्वय
ख) दिन-रात
ग) चतुरानन
घ) पंचतत्व
20. यथाशक्ति का सही विग्रह क्या होगा-
क) जैसी
शक्ति
ख) जितनी
शक्ति
ग) शक्ति
के अनुसार
घ) यथा जो
शक्ति
22. पाप
पुन्य में कौन सा समास है-
क) कर्मधारय
ख) द्वंद्व
ग) तत्पुरुष
घ) बहुव्रीहि
23. चतुर्भुज में कौन सा समास है
क) द्वंद्व
ख) द्विगु
ग) तत्पुरुष
घ) बहुव्रीहि
26) गुणहीन में कौन सा समास है-
क) तत्पुरुष
ख) द्वंद्व
ग) कर्मधारय
घ) द्विगु
27) पुत्र-पुत्री में कौन सा समास है-
40) दानवीर शब्द में समास बताइए-
क) अव्ययीभाव समास
ख) तत्पुरुष समास
43) महाविद्यालय शब्द में समास पहचानिए-
46) बेकाम शब्द में समास पहचानिए-
47) प्रत्यक्ष – शब्द में समास पहचानिए
48)बेकाम – “शब्द” में समास पहचानिए-
घ) कर्मधारय समास
50) नेत्रहीन में कौन सा समास है-
क) बहुव्रीहि समास
घ) द्विगु समास
HARSH LATA ATRI
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