तुम कब जाओगे, अतिथि || Tum Kab Jaoge, Atithi || लेखक परिचय || पाठ सार || प्रश्न उत्तर || कक्षा 9 || स्पर्श || गद्य ||
लेखक परिचय
लेखक - शरद जोशी
जन्म – 21 मई 1931(उज्जैन
में)
रचनाएँ – शरद जोशी मुख्यतः
व्यंग्यकार हैं | प्रारंभ में उन्होंने कुछ कहानियाँ लिखीं किंतु बाद में व्यंग्य
लिखने लगे | इन्होने अनेक विधाओं में लेख लिखे हैं –लेख, उपन्यास ,व्यंग्य
धारावाहिकों की पटकथाएँ व संवाद आदि |
प्रमुख व्यंग्य रचनाएँ – परिक्रमा , किसी बहाने, तिलस्म आदि |
व्यंग्य नाटक – अंधों का हाथी, एक था गधा |
उपन्यास – मैं , मैं, केवल मैं उर्फ कमल मुख बी. ए. |
भाषा शैली – इनकी भाषा सहज व सरल है| मुहावरों और कहावतों के प्रयोग
से भाषा को और अधिक व्यंजक बनाया है |
पाठ सार
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने उन अतिथियों की प्रवृत्ति पर व्यंग्य
किया है जो अपने नाम को सार्थक करते हुए अपने मेजबान के यहाँ बिना किसी पूर्व
सूचना और कार्यक्रम के धमक जाते हैं और मेजबान की सुख-सुविधाओं काख्याल किए बिना
मनचाहे दिनों तक रूक जाते हैं|
प्रश्न-अभ्यास
निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1.
अतिथि कितने दिनों से लेखक के
घर पर रह रहा है?
उत्तर-
अतिथि चार दिनों से लेखक के घर
पर रह रहा है।
प्रश्न 2.
कैलेंडर की तारीखें किस तरह
फड़फड़ा रही हैं?
उत्तर-
कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा
में नम्रता से फड़फड़ा रही हैं। मानों वे भी अतिथि को पिछला दिन बितने व अगला दिन
आने की सूचना दे रही हों , बता रही हों कि तुम्हें यहाँ आए हुए दो-तीन दिन बीत
चुके हैं।
प्रश्न 3.
पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया- ?
उत्तर-
पति ने प्रेमभरी मुस्कान के साथ अतिथि को गले लगाकर तथा पत्नी ने सादर नमस्ते कर
उसका स्वागत किया।
प्रश्न 4.
दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा
प्रदान की गई?
उत्तर-
दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा
प्रदान की गई।
प्रश्न 5.
तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या
कहा?
उत्तर-
अतिथि ने तीसरे दिन कहा कि वह
अपने कपड़े धोबी को देना चाहता है।
प्रश्न 6.
सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर
क्या हुआ?
उत्तर-
सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर
लेखक का उच्च मध्यमवर्गीय डिनर खिचड़ी पर आ गया।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना
चाहता था?
उत्तर-
लेखक अपने अतिथि को भावभीनी
विदाई देना चाहता था। वह चाहता था कि अतिथि को छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन तक जाए।
उससे बार-बार रुकने का आग्रह किया जाए, किंतु वह
न रुके।
पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए-
1. अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।
2. अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।
3. लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़े।
4. मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।
5. एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।
उत्तर-
1. बिना सूचना दिए अतिथि को आया देख लेखक परेशान हो गया। वह सोचने लगा कि अतिथि की आवभगत में उसे अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा जो उसकी जेब के लिए भारी पड़ने वाला है।
2. भारतीय संस्कृति में अतिथि देवो भव कहकर अतिथि को देवता कहा गया है किंतु ऐसा तभी तक है जब तक वह अपनी सुख सुविधाओं के साथ मेजबान की भी सुख-सुविधाओं का भी ख़याल रखता है किंतु यदि वह ऐसा न करके अगले दिन वापस नहीं जाता है और मेजबान के लिए पीड़ा का कारण बनने लगता है तो वह मनुष्य न रहकर राक्षस नज़र आने लगता है।
3. अपने घर को स्वीट होम कहा जाता है क्योंकि अपने घर जैसा आनंद व सुख-सुविधा और कहीं नहीं मिलती |किंतु जब अतिथि आकर समय से नहीं लौटते हैं तो मेजबान के परिवार में अशांति बढ़ने लगती है। उस परिवार का चैन खो जाता है। पारिवारिक समरसता कम होती जाती है और अतिथि का ठहरना बुरा लगने लगता है।
4. जब अतिथि चौथे दिन की रात को भी लेखक के घर ठहर गया तो लेखक को तो लेखक को बहुत बेचैनी हुई | उसने ठान लिया कि यदि पाँचवी दिन की सुबह भी अतिथि अपने घर जाने की घोषणा नहीं करता तो उसे साफ़-साफ़ उसके घर जाने के लिए कहना पड़ेगा |अब वह अतिथि को और अधिक सहन नहीं कर सकता था।
5. लेखक अतिथि से कहता है कि तुम स्वयं को अतिथि रूप में देवता मान बैठे हो किंतु मै तो साधारण मनुष्य हूँ | तुम्हें मनुष्य की सीमाओं का ज्ञान नहीं | इसी कारण तुम चौथे दिन भी जा नहीं रहे हो | अब तुम्हें जान लेना चाहिए कि मनुष्य के साथ मनुष्य बनकर ही रहा जा सकता है, देवता नहीं | देवता वही होता है जो भक्त को दर्शन देकर लौट जाए | मनुष्य और देवता दोनों साथ-साथ ज्यादा देर तक नहीं रह सकते |
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखिए -
कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
तीसरे दिन मेहमान का यह कहना कि वह धोबी से कपड़े धुलवाना चाहता है, एक अप्रत्याशित आघात था। यह फरमाइश एक ऐसी चोट के समान थी जिसकी लेखक ने आशा नहीं की थी। इस चोट का लेखक पर यह प्रभाव पड़ा कि वह अतिथि को राक्षस की तरह मानने लगा। उसके मन में अतिथि के प्रति सम्मान की बजाय बोरियत, बोझिलता और तिरस्कार की भावना आने लगी। वह चाहने लगा कि यह अतिथि इसी समय उसका घर छोड़कर चला जाए।
प्रश्न 3 - जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?
उत्तर - जब
अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक और अतिथि के बीच की
मुस्कुराहट गायब हो गई | दोनों में बातचीत लगभग बंद हो गई और आपसी सदभाव बोरियत
में बदल गया | लेखक की सहनशीलता जवाब देनी लगी,डिनर और लंच की गरिमा खिचड़ी में बदल
गई, अतिथि देवता के स्थान पर राक्षस प्रतीत होने लगा और लेखक अतिथि को गेट आउट
कहने के लिए बेचैन हो उठा |
HARSH LATA ATRI
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