|| Harihar Kaka || लेखक परिचय, सार, प्रश्नोत्तर || कक्षा 10 || संचयन || गद्य ||
लेखक – मिथिलेश्वर
जन्म – 31 दिसंबर 1950
रचनाएँ – बाबूजी, चल खुसरो घर अपने आदि
लेखक हरिहर काका से अपने बचपन से जुड़े हैं | हरिहर काका के प्रति लेखक की आसक्ति है | लेखक हरिहर काका के वर्तमान जीवन को देखकर उनके विगत जीवन चले जाते हैं | कहानी में ठाकुरबारी की बहुत चर्चा हुई है | यहाँ पहले एक बहुत छोटा सा मंदिर था,जो विकास करते-करते विशाल ठाकुरबारी का रूप ले चुका है पूरे इलाके में इसकी धूम है | ठाकुरबारी में भजन कीर्तन की आवाजें निरंतर गूँजती रहती हैं | होली का पहला गुलाल ठाकुरबारी को ही चढ़ाया जाता है सभी अच्छे कामों के बाद ठाकुरबारी में भेंट चढ़ाई जाती है |
पहले हरिहर काका भी नियमित रूप से ठाकुरबारी में जाते थे, पर अब उन्होंने ठाकुरबारी में जाना बंद कर दिया है वहाँ के साधु-संत उन्हें अब फूटी आँख नहीं सुहाते | हरिहर काका के चार भाई हैं सबकी शादी हो चुकी है हरिहर काका के अलावा सबके बाल-बच्चे हैं| हरिहर काका ने औलाद के लिए दो शादियाँ कीं | कुछ दिनों तक हरिहर काका के भाईयों की पत्नियों ने उनकी देखभाल की किंतु थोड़े समय बाद वे उनकी उपेक्षा करने लगीं मुफ्त में खिलाती हो मेरे हिस्से के खेत |
एक दिन घर में विस्फोट हो गया : एक दिन शहर में क्लर्की करने वाले भतीजे का दोस्त उनके यहाँ आया हुआ था उसके लिए स्वादिष्ट व्यंजन दो-तीन तरह की सब्जी ,चटनी व रायता आदि बने थे हरिहर काका बीमारी से उठे थे अत उनका मन भी स्वादिष्ट भोजन खाने का था किंतु मिला उन्हें रुखा सूखा भोजन भात,मट्ठा व आचार | यह भोजन देखते ही हरिहर काका ने थाली उठाकर आँगन में फेंक दी और चिल्लाकर बोले –समझ रही हों कि मुफ्त में खिलाती हो, मेरे हिस्से के खेत की पैदावार इसी घर में आती है, मैं अनाथ व बेसहारा नहीं हूँ | हरिहर काका की ये बात ठाकुरबारी के पुजारी ने सुन ली और महंत को बता दी | महंत हरिहर काका को ठाकुरबारी में ले आए तथा ईश्वर भक्ति में मन लगाने की सीख देने लगे |महंत ने हरिहर काका को अपनी जमीन ठाकुरबारी के नाम लिखने के लिए भी बहुत उकसाया तथा अनेकों प्रलोभन भी दिए | सोने के लिए अगले दिन हरिहर काका के भाई उनको घर लाने के लिए ठाकुरबारी जा पहुँचे |उन्होंने उनके पाँव पकड़े और माफ़ी भी माँगी | घर आने पर उनके भाई उनसे अपनी जमीन उनके नाम लिखने का दबाव बनाने लगे | दूसरी ओर महंत भी परेशान था क्योंकि अभी तक काका नए जमीन ठाकुरबारी के नाम नहीं लिखी थी | महंत ने ठाकुरबारी के लोगों को भाला,गंडासा व बंदूक सहित हरिहर काका को जबरन उठवा लिया | ठाकुरबारी के अंदर महंत व अन्य साधु-संतों ने सादे कागज़ों पर अँगूठे के निशान ले लिए | अगले दिन उनके भाई पुलिस को लेकर ठाकुरबारी पहुँचे | ठाकुरबारी के कमरे का ताला तोड़कर हरिहर काका को वहाँ से घायलावस्था में बाहर निकाला गया तथा उनके बयान दर्ज करवाए गए | अब हरिहर काका पुन: भाइयों के परिवार के साथ रहने लगे,अब वे चौबीसों घंटे पहरे में रहते थे | हरिहर काका अब सीधे सादे किसान की अपेक्षा होशियार व समझदार हो गए थे | वे समझ गए थे कि भाइयों के द्वारा मिलने वाले सम्मान की वजह उनकी जमीन है | जब भाइयों के द्वारा समझाए जाने के बाद भी उन्होंने अपनी ज़मीन उनके नाम नहीं लिखी तो उनके भाइयों ने भी उनके साथ ज़ोर- जबरदस्ती का करनी शुरू कर दी,हाथापाई तक बात पहुँच गई तो पुलिस को बुलाया गया | अब हरिहर काका पुलिस की सुरक्षा में रहते हैं तथा मौन रहकर अपनी जिंदगी के दिन काट रहे हैं एक नौकर रख लिया है, वही उन्हें खाना बनाकर खिलाता है |
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
कथावाचक और
हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं?
उत्तर-
हरिहर काका और
कथावाचक (लेखक) दोनों के बीच में बड़े ही मधुर एवं आत्मीय संबंध थे,
क्योंकि दोनों
एक गाँव के निवासी थे। कथावाचक गाँव के चंद लोगों का ही सम्मान करता था और उनमें
हरिहर काका एक थे। इसके निम्नलिखित कारण थे-
1.
हरिहर काका कथावाचक के पड़ोसी थे।
2.
कथावाचक की माँ के अनुसार हरिहर काका ने उसे
बचपन में बहुत प्यार किया था।
3.
कथावाचक के बड़े होने पर उसकी पहली दोस्ती
हरिहर काका के साथ ही हुई थी। दोनों आपस में बहुत ही खुल कर बातें करते थे।
प्रश्न 2.
हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे?
उत्तर-
हरिहर काका एक निःसंतान व्यक्ति थे। उनके पास पंद्रह बीघे जमीन थी। हरिहर काका
के भाइयों ने पहले तो उनकी खूब देखभाल की परंतु धीरे-धीरे उनकी पत्नियों ने काका के
साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। महंत को जब यह पता चला तो वह बहला-फुसलाकर काका को
ठाकुरबारी ले आए और उन्हें वहाँ रखकर उनकी खूब सेवा की। साथ ही उसने काका से उनकी
पंद्रह बीघे जमीन ठाकुरबारी के नाम लिखवाने की बात की। काका ने जब ऐसा करने से मना किया तो महंत ने उन्हें मार-पीटकर जबरदस्ती कागज़ों पर अँगूठा लगवा
दिया। इस बात पर दोनों पक्षों में जमकर झगड़ा हुआ। दोनों ही पक्ष स्वार्थी थे। वे
हरिहर काका को सुख नहीं दुख देने पर उतारू थे। उनका हित नहीं अहित करने के पक्ष
में थे। दोनों का लक्ष्य जमीन
हथियाना था। इसके लिए दोनों ने ही काका के साथ छल व बल का प्रयोग किया। इसी कारण
हरिहर काका को अपने भाई और महंत एक ही श्रेणी के लगने लगे।
प्रश्न 3.
ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे
उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
उत्तर-
ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं, उनसे उनकी ठाकुर जी के प्रति भक्ति भावना, आस्तिकता, प्रेम तथा विश्वास को पता चलता है। वे अपने प्रत्येक कार्य की सफलता का कारण
ठाकुर जी की कृपा को मानते थे।
प्रश्न 4.
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। वे जानते हैं कि
जब तक उनकी जमीन-जायदाद उनके पास है, तब तक सभी उनका आदर करते हैं। ठाकुरबारी के महंत उनको इसलिए समझाते हैं
क्योंकि वह उनकी जमीन ठाकुरबारी के नाम करवाना चाहते हैं। उनके भाई उनका आदर-सत्कार जमीन के कारण
करते हैं। हरिहर काका ऐसे कई लोगों को जानते हैं, जिन्होंने अपने जीते जी अपनी जमीन किसी और
के नाम लिख दी थी। बाद में उनका जीवन नरक बन गया था। वे नहीं चाहते थे कि उनके साथ
भी ऐसा हो।
प्रश्न 4.
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। वे जानते हैं कि
जब तक उनकी जमीन-जायदाद उनके पास है, तब तक सभी उनका आदर करते हैं। ठाकुरबारी के महंत उनको इसलिए समझाते हैं
क्योंकि वह उनकी जमीन ठाकुरबारी के नाम करवाना चाहते हैं। उनके भाई उनका आदर-सत्कार जमीन के कारण
करते हैं। हरिहर काका ऐसे कई लोगों को जानते हैं, जिन्होंने अपने जीते जी अपनी जमीन किसी और
के नाम लिख दी थी। बाद में उनका जीवन नरक बन गया था। वे नहीं चाहते थे कि उनके साथ
भी ऐसा हो।
हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे? उन्होंने उनके साथ कैसा व्यवहार किया ?
उत्तर-
हरिहर काका को जबरन उठानेवाले महंत के आदमी थे। वे रात के समय हथियारों से लैस होकर आते हैं और हरिहर काका को ठाकुरबारी उठा कर ले जाते हैं। वहाँ उनके साथ बड़ा ही दुर्व्यवहार किया जाता है। उन्हें समझाबुझाकर और न मानने पर डरा धमकाकर सादे कागजों पर अँगूठे का निशान ले लिए जाते हैं। उसके बाद उनके मुहँ में कपड़ा ठूँसकर उन्हें अनाज के गोदाम में बंद कर दिया जाता है।
प्रश्न 6.
हरिहर काका के मामले में गाँववालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
उत्तर-
हरिहर काका के मामले में गाँव के लोगों के दो वर्ग बन गए थे। दोनों ही पक्ष के
लोगों की अपनी-अपनी राय थी। आधे लोग परिवार वालों के पक्ष में थे। उनका कहना था कि काका की
जमीन पर हक तो उनके परिवार वालों का बनता है। काका को अपनी ज़मीन-जायदाद अपने भाइयों के नाम लिख देनी चाहिए, ऐसा न करना अन्याय होगा। दूसरे पक्ष के
लोगों का मानना था कि महंत हरिहर की ज़मीन उनको मोक्ष दिलाने के लिए लेना चाहता
है। काका को अपनी ज़मीन ठाकुरजी के नाम लिख देनी चाहिए। इससे उनका नाम या यश भी
फैलेगा और उन्हें सीधे बैकुंठ की प्राप्ति होगी। इस प्रकार जितने मुँह थे उतनी
बातें होने लगीं। प्रत्येक का अपना मत था। इन सबको एक कारण था कि हरिहर काका विधुर
थे और उनकी अपनी कोई संतान न थी जो उनका उत्तराधिकारी बनता। पंद्रह बीघे जमीन के
कारण इन सबका लालच स्वाभाविक था।
प्रश्न 7.
कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, “अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो
आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।”
उत्तर
लेखक ने यह इसलिए कहा है, क्योंकि अज्ञान की ही स्थिति में अर्थात् सांसारिक
आसक्ति या नश्वर संसार के सुख की इच्छा के कारण ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। जब
उन्हें यह ज्ञान हो जाता है कि मृत्यु तो अटल सत्य है, क्योंकि जो इस धरती पर जन्म लेता है, उसकी मृत्यु तो निश्चित है तथा जब यह शरीर
जीर्ण-शीर्ण हो जाता है, तो इस मृत्यु के
माध्यम से प्रभु हमें नया शरीर और नया जीवन देते हैं, तब वे मृत्यु से घबराते नहीं, डरते नहीं, बल्कि मृत्यु आने पर
उसका स्वागत करते हैं, अर्थात् उसका वरण करते हैं।
समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर-
समाज में रिश्तों-नातों का एक विशेष स्थान है। सामाजिक जीवन को सुचारू रखने के किए इनकी महत्त्ता को कोई नजरंदाज नहीं कर सकता है। परन्तु आज समाज में मानवीय मूल्य तथा पारिवारिक मूल्य धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। ज़्यादातर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते निभाते हैं, आए दिन हम अखबारों में समाचार पढ़ते हैं कि ज़मीन जाय़दाद, पैसे जेवर के लिए लोग हत्या जैसा घृणित कार्य करने से भी नहीं कतराते हैं। इसलिए तो कहानी के हरिहर काका जैसे लोगों को अपने खून के रिश्तेदारों से बचने के लिए पुलिस की आवश्यकता पड़ती है। क्योंकि जब रिश्तों पर स्वार्थ का रंग चढ़ जाता है तो सारे रिश्ते बेमानी हो जाते हैं।
प्रश्न 9.
यदि आपके आसपास
हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो आप उसकी किस प्रकार मदद करेंगे?
उत्तर-
यदि हमारे आसपास
हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो हम उसकी सहायता निम्न प्रकार से करेंगे-
1.
सबसे पहले हम उसके घरवालों को समझाएंगे कि वे
अपने पुनीत कर्तव्य के प्रति सचेत रहें।
2.
असहाय व्यक्ति की खान-पान,
रहन-सहन वस्त्र
आदि की व्यवस्था समयानुसार करें।
3.
उसके परिवार के सदस्यों को समझाएँगे कि असहाय
व्यक्ति की यदि तुम सहायता करोगे, तो उसका फल तुम्हें अवश्य मिलेगा। अर्थात्
उनकी जमीन, संपत्ति स्वतः ही तुम्हें मिल जाएगी।
4.
धूर्त महंत, पुजारी,
साधु आदि की
रिपोर्ट पुलिस में करेंगे और पुलिस को बताएँगे कि इनकी आँखों पर लालच का चश्मा लगा
हुआ है। ये असहाय व्यक्ति की ज़मीन पर बलपूर्वक कब्जा करना चाहते हैं।
5.
भाइयों, महंत, साधु व पुजारियों की खबर मीडिया को देंगे
ताकि उनका दुष्प्रचार हो सके। साथ ही सरकारी हस्तक्षेप से उन्हें अपने किए की सजा
मिल सके। साथ ही हरिहर काका जैसे व्यक्ति को न्याय मिल सके।
हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
हरिहर काका की बात मिडिया तक पहुँच जाती तो जो दुखी और एकाकी जीवन वे बिता रहे थे वह उन्हें मिडिया के हस्तक्षेप से न बिताना पड़ता। वे अपने पर हुए अत्याचार लोगों को न केवल बताकर भयमुक्त हो जाते बल्कि उनके कारण कई और लोग भी जागृत हो जाते। साथ ही मिडिया वहाँ पहुँचकर सबकी पोल खोल देती, मंहत व भाईयों का पर्दाफाश हो जाता। अपहरण, धमकाने और जबरन अँगूठा लगवाने के अपराध में उन्हें जेल हो जाती। मिडिया उन्हें स्वतंत्र और भयमुक्त जीवन की उचित व्यवस्था भी करवा देती।
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