वाक्य ||
वाक्य-
वाक्य पदों (शब्दों) का वह व्यवस्थित समूह होता है, जिसमें पूर्ण अर्थ देने की योग्यता होती है।
वाक्य में निम्नलिखित गुण होते हैं-
1. आकांक्षा-आकांक्षा का अर्थ है-इच्छा। वाक्य पदों (शब्दों) के मेल से बनता है। किसी भी पद (शब्द) के पश्चात् आने वाले पद को जानने की उत्सुकता ही आकांक्षा कहलाती है।
2. योग्यता- 'योग्यता' का अर्थ है-क्षमता। वाक्य में प्रयुक्त पदों में निहित अर्थ का ज्ञान कराने की क्षमता को
3. निकटता- वाक्य में उचित और पूर्ण अर्थ देने के लिए उसके पदों का एक-दूसरे के निकट होना जरूरी है।
4. पदक्रम-वाक्य में प्रयोग किए जाने वाले पदों (शब्दों) का क्रम निश्चित होता है। ऐसा न होने पर अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाता या अर्थ बदल जाता है।
5. अन्वय-'अन्वय' का अर्थ है-मेल या एकरूपता। वाक्य में कर्ता, कर्म, क्रिया, लिंग, वचन, पुरुष और कारक का मेल होना आवश्यक है।
वाक्य के अंग-
वाक्य के दो अंग होते हैं-
(1) उद्देश्य
(2) विधेय।
उद्देश्य - वाक्य का वह अंश होता है जिसके बारे में कुछ कहा जाता है।
मुख्य रूप से कर्ता ही वाक्य का उद्देश्य होता है।
जैसे-ममता खाना खाती है। (ममता उद्देश्य है।)
विधेय - उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं। जैसे-
ऊपर के वाक्य में 'खाना खाती है।' (विधेय है।)
उद्देश्य और विधेय का विस्तार भी हो सकता है।
जैसे-मेरा भाई सोहन पढ़ता है।
इसमें 'सोहन' उद्देश्य है और 'मेरा भाई' उद्देश्य का विस्तार है।
'मेरा भाई सोहन'- उद्देश्य
वाक्य भेद-
वाक्यों को मुख्यतः दो आधारों पर बाँटा जाता है-
(1) अर्थ के आधार पर
(2) रचना के आधार पर
रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
(क) साधारण या सरल वाक्य
(ख) संयुक्त वाक्य
(ग) मिश्रित या मिश्र वाक्य।
1. सरल वाक्य
परिभाषा: एक ऐसा वाक्य जिसमें एक ही मुख्य क्रिया और एक ही विचार होता है।
उदाहरण: राम स्कूल जाता है।
वर्षा हो रही है।
लड़के मैदान में गेंद खेल रहे हैं।
उपर्युक्त वाक्यों में मुख्य क्रिया एक ही है।
संयुक्त वाक्य
परिभाषा: जिस वाक्य में दो या दो से अधिक समान-स्तरीय साधारण वाक्य समान समुच्चयबोधक अव्यय द्वारा जुड़े हो, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।
अथवा ऐसा वाक्य जिसमें दो या दो से अधिक स्वतंत्र उपवाक्य होते हैं, जो संयोजक शब्दों (जैसे: और, लेकिन, या) द्वारा जुड़े होते हैं।
{इनमें समुच्चयबोधक अव्यय का प्रयोग संयोजक के रूप में, विभाजक के रूप में और परिणामबोधक के रूप में होता है; जैसे-
संयोजक के रूप में और, अथवा, एवं।
विभाजक के रूप में अथवा, या।
विरोधदर्शक के रूप में पर. परंतु, किंतु, लेकिन, अन्यथा।
परिणामबोधक के रूप में अतः इसलिए, अतएव।}
2) वीरवार को हड़ताल है, अतः बाज़ार बंद रहेगा।
3) छात्र कम रोशनी में पढ़ता था इसलिए अपनी आँखें गंँवा बैठा।
4) आप खाना अभी खाएँगे या थोड़ी देर बाद ?
5) राम बीमार है इसलिए स्कूल नहीं आया।
उपर्युक्त वाक्यों में दो स्वतंत्र वाक्य और, इसलिए, या, तथा योजक शब्दों से जुड़े हैं। इसलिए ये संयुक्त वाक्य है।
मिश्र वाक्य -
मिश्र वाक्य में एक मुख्य या स्वतंत्र उपवाक्य और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं जिन्हे व्यधिकरण समुच्च्यच्यबोधक अव्यय द्वारा जोडा जाता है।
आश्रित उपवाक्य अपने पूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए मुख्य उपवाक्य पर आश्रित रहते हैं।
मिश्र वाक्य के उपवाक्य-कि जैसा-वैसा, जो, जिसने, जब जहाँ, तब क्योंकि यदि तो आदि व्यधिकरण योजकों से जुड़े होते हैं जैसे
(क) अध्यापिका ने कहा कि कल छुट्टी रखेगी।
(ख) जो लड़का बाहर खड़ा है, उसे बुलाओ।
(ग) जब मै वहाँ गया, वह सो रहा था।
(घ) यदि इस बार वर्षा न हुई तो सारी फसल नष्ट हो जाएगी।
वाक्यों में-
(क) 'अध्यापिका ने कहा' मुख्य उपवाक्य है और 'कल छुट्टी रहेगी' आश्रित उपवाक्य है जिसे 'कि' यो जोड़ा गया है।
(ख) 'उसे बुलाओ' मुख्य उपवाक्य है और 'लड़का बाहर खड़ा है' आश्रित उपवाक्य है जिसे 'जो' यो जोड़ा गया है।
(ग) 'वह सो रहा था' मुख्य उपवाक्य है और 'मैं वहाँ गया' आश्रित उपवाक्य है जिसे 'जब' योजक गया है।
(घ) 'सारी फसल नष्ट हो जाएगी' मुख्य उपवाक्य है और 'इस बार वर्षा न हुई' आश्रित उपवाक्य है जिस एवं 'तो' योजकों से जोड़ा गया है।
आश्रित उपवाक्य-
आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
(1) संज्ञा उपवाक्य
(2) विशेषण उपवाक्य
(3) क्रियाविशेषण उपवाक्य।
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