अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले || Ab Kahan Dusron Ke Dukh Se Dukhi Hone Vale || लेखक परिचय || पाठ सार || प्रश्न उत्तर || आशय स्पष्ट || कक्षा 10 || Class 10 || स्पर्श || गद्य || knowinghindi.blogspot.com
लेखक परिचय
लेखक नाम - निदा फाज़ली
जन्म – 1938
मृत्यु – 2016
साठोत्तरीपीढ़ी के महत्वपूर्ण कवि माने जाते
है | आम बोलचाल की भाषाओँ में इनके द्वारा कविताएँ लिखी गईं | इन्होंने अपनी
गद्य रचनाओं में शेर-ओ-शायरी का मिश्रण करके इन्हें काफ़ी रोचक बना दिया है 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से इन्हें
सम्मानित किया गया
रचनाएँ – लफ्जो का पुल , दीवारों के
बीच ,दीवारों के पार आदि
पाठ सार
बाइबिल के सोलोमेन को कुरान में सुलेमान कहा गया है वे सभी पशु-पक्षी के हाकिम थे |
उनकी भाषा जानते थे तथा सभी की रक्षा भी करते थे |
सिंधी भाषा के कवि शेख अयाज ने अपनी
आत्मकथा में एक घटना का वर्णन किया है – एक दिन जब उनके पिता ने खाना खाते वक़्त
अपनी बाजू पर एक काला च्योंटा रेंगता हुआ देखा ,तो वे खाना छोड़कर उसे उसके घर तक
छोड़ने गए |
नूह नाम के पैगंबर इसलिए सारी उम्र
रोते रहे क्योंकि उन्होंने एक घायल कुत्ते
को दुत्कारते हुए गंदा कुत्ता कह दिया था |
इस धरती पर किसी एक व्यक्ति की नहीं
अपितु पक्षी , मानव ,नदी , पशु , पर्वत व समुद्र आदि की भी हिस्सेदारी है किंतु
मानव ने अपनी बुद्धि का प्रयोग करके इनके बीच बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं |
पहले बड़े-बड़े मकानो में पूरा
संयुक्त परिवार मिल-जुलकर रहता था |अब जीवन छोटे-छोटे फ्लैटो में सिमट गया है |
बढ़ती आबादी ने समुद्र को भी पीछे
धकेलना शुरू कर दिया है |बढ़ते प्रदूषण ने पक्षियों को भगा दिया है |
प्रकृति की सहन शक्ति की भी एक सीमा
होती है | जब वह गुस्से में आती है तो इसका भयंकर परिणाम झेलना पड़ता है |
कुछ साल पहले मुंबई में बड़े-बड़े
बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उसकी जमीन हथिया रहे थे |समुद्र सिकुड़ता चला गया
किंतु जब मनुष्य ने तब भी समुद्र की जमीन को हथियाना बंद नहीं किया तो उसने तीन
जहाज़ों को उठाकर बच्चों की गेंद की तरह तीन दिशाओं में फेंक दिया |
एक जहाज वर्ली के किनारे गिरा
दूसरा बांद्रा में कार्टर रोड़ के
सामने और
तीसरा गेट-वे ऑफ़ इंडिया पर टूटकर
गिरा
लेखक की माँ कहती थीं कि सूरज ढलने
पर पेड़ के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए अन्यथा वे रोएँगे
दरिया पर जाओ तो उसे सलाम करो
कबूतर हजरत मुहम्मद को अजीज हैं
इसलिए उन्हें सताना नहीं चाहिए |
लेखक ग्वालियर से मुंबई के वसोवा
में जा बसे पहले यह जंगल था किंतु धीरे-धीरे बस्ती का आकार बढ़ने से पक्षी उजड़ते गए
दो कबूतरों ने लेखक की खिड़की में
घोंसला बना लिया यह बात लेखक की पत्नी को पसंद नहीं आई और उन्होंने जाली लगवाकर
कबूतरों का आशियाना छीन लिया
अब कबूतरों के इस दुख कों समझने
वाला कोई नहीं है |
प्रश्न अभ्यास
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1. बड़े-बड़े
बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर-
बड़े-बड़े
बिल्डर समुद्र को इसलिए धकेल रहे थे कि ताकि वे समुद्र के किनारे की जमीन पर
कब्ज़ा कर सकें और उस पर बड़ी-बड़ी इमारतें बनाकर लोगों को बसा सकें। ऐसा करके वे
पैसा कमाना चाहते थे।
प्रश्न 2. लेखक का
घर किस शहर में था?
उत्तर-
लेखक का
घर पहले ग्वालियर में था परंतु बाद में वह मुंबई के वर्सावा में रहने लगा।
प्रश्न 3. जीवन कैसे घरों में सिमटने लगी
है?
उत्तर-
पहले
जनसंख्या कम थी। लोगों के हिस्से में जमीन अधिक थी। वे बड़े-बड़े घरों और खुले में
रहते थे, परंतु
जनसंख्या बढ़ने के साथ ही वे छोटे-छोटे डिब्बों जैसे घरों में रहने को विवश हो गए।
प्रश्न 4. कबूतर
परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
उत्तर-
कबूतर के
जोड़े ने रोशनदान में दो अंडे दिए थे। उनमें से एक को बिल्ली ने फोड़ दिया और
दूसरा सँभाल कर रखते हुए माँ से टूट गया। अपने अंडे फूटने से दुखी होने के कारण कबूतर
फड़फड़ा रहे थे।
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) दीजिए -
प्रश्न 1 - अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते
हैं ?
प्रश्न 2 - लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के
लिए मना करती थी और क्यों ?
उत्तर - लेखक की
माँ सूरज छिपने के बाद पेड़ो के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थी | उनका मानना था कि
ऐसा करने से पेड़ो को दुःख होगा तथा वे रोते हुए बद्दुआ देते हैं |
प्रश्न 3 - प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर - प्रकृति में आए असंतुलन का दुष्परिणाम
बहुत ही भयंकर हुआ; जैसे-
·
विनाशकारी समुद्री तूफ़ान आने लगे।
·
अत्यधिक गरमी पड़ने लगी।
·
असमय बरसातें होने से जन-धन और फ़सलें क्षतिग्रस्त होने लगीं।
·
आँधियाँ और तूफ़ान आने लगे।
·
नए-नए रोग उत्पन्न होने गए, जिनसे मनुष्य ,पशु-पक्षी व अन्य
जीव-जंतु असमय मरने लगे।
प्रश्न 4 - लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा ?
उत्तर - बिल्ली ने
जब कबूतर के एक अंडे को तोड़ दिया तो लेखक की माँ ने स्टूल पर चढ़ कर दूसरे अंडे
को बचाने की कोशिश की। परन्तु इस कोशिश में दूसरा अंडा लेखक की माँ के हाथ से छूट
गया और टूट गया। ये सब देख कर कबूतरों का जोड़ा परेशान हो कर इधर-उधर फड़फड़ाने
लगा। कबूतरों की आँखों में उनके बच्चों से बिछुड़ने का दुःख देख कर लेखक की माँ की
आँखों में आँसू आ गए। इस पाप को खुदा से माफ़ कराने के लिए लेखक की माँ ने पूरे
दिन का उपवास रखा।
प्रश्न 5 - लेखक ने ग्वालियर से बम्बई तक किन बदलावों को
महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर - लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक
अनेक बदलाव महसूस किए -
·
उनके देखते-देखते बहुत सारे पेड़ कट गए।
·
नई-नई बस्तियाँ बस गईं।
·
चौड़ी सड़कें बन गईं।
·
पशु-पक्षी शहर छोड़कर भाग गए तथा जो बच गए उन्होंने जैसे-तैसे यहाँ-वहाँ अपना घोंसला
या रहने की जगह बना ली।
उत्तर - ‘डेरा’ अर्थात् अस्थाई घर। अस्थाई इसलिए क्योंकि कब कौन तोड़ कर चला जाए कोई नहीं जानता। जंगलों को काटकर बड़ी-बड़ी इमारतें बन जाने के कारण कई पक्षी बेघर हो गए और जब उन्हें अपना घोंसला बनाने की जगह नहीं मिली तो उन्होंने इन इमारतों में अपना डेरा डाल लिया ।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में ) दीजिए -
प्रश्न 1 - बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा ?
प्रश्न 2 - लेखक की पत्नी को खिड़की पर जाली क्यों लगानी पड़ी ?
बिल्डरों ने समुद्र के किनारे की भूमि पर बस्तियाँ बसाने के लिए ऊँची-ऊँची इमारतें बनानी शुरू कर दीं | जिससे समुद्र का आकार घटता गया और समुद्र सिमटता गया | मनुष्य के इस स्वार्थ एवं लालच से समुद्र को गुस्सा आ गया और उसने अपने ऊपर चलते हुए तीन जहाज़ों को बच्चों की गेंद की भाँति उठाकर तीन अलग-अलग दिशाओं में फेंक दिया |ये तीनों जहाज औंधे मुँह गिरकर टूट गए और कोशिश करने के बाद भी इन्हें पहले की तरह चलने लायक नहीं बनाया जा सका |
प्रश्न 4 -मिट्टी से मिट्टी मिले,
खो के सभी निशान ।
किसमें कितना कौन है,
कैसे हो पहचान ।।
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर - लेखक इन पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहता है कि उस ईश्वर ने हम सभी प्राणधारियों को एक ही मिट्टी से बनाया है। यदि सभी से प्राण निकाल कर वापिस मिट्टी बना दिया जाए तो किसी का कोई निशान नहीं रहेगा जिससे पहचाना जा सके कि कौन सी मिट्टी किस प्राणी की है। भाव यह हुआ कि लेखक कहना चाहता है व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व पर घमण्ड नहीं करना चाहिए ।
Awesome Mam
ReplyDeleteThank you