लघु कथा लेखन || कहानी लिखते समय याद रखने वाली विशेष बातें || अभ्यास प्रश्न || Class 9,10 || knowinghindi.blogspot.com
लघु कथा लेखन -
लघु कथा गद्य की एक ऐसी विधा है जिसका आकार लघु होता है तथा जिसमे
कथा नामक तत्व विद्यमान होता है ।
नोट –
कहानी
लेखन (लघु कथा लेखन) रचनात्मक लेखन में पूछा जाना वाला प्रश्न है। यह प्रश्न 5 अंकों के लिए पूछा
जाता है। इस प्रश्न में आपको विकल्प दिए जाते हैं और आपको अपनी इच्छा से कोई एक
विकल्प चुन कर लिखना होता है। इस प्रश्न में शब्दों की सीमा सीमित रखी जाती है जो 100 से 120 शब्दों की होती है।
जीवन की किसी एक
घटना के रोचक वर्णन को ‘कहानी’ कहते हैं।
कहानी लिखना एक कला है।लेखक अपने ढंग से कहानी लिखकर उसमें
विशेषता उत्पन्न करता है। वह अपनी कल्पना और वर्णन-शक्ति से कहानी के कथानक, पात्र या वातावरण को प्रभावशाली बना देता है।
कहानी लिखते समय निम्नलिखित
बातों पर ध्यान रखना चाहिए-
(i) दी गई रूपरेखा अथवा
संकेतों के आधार पर ही कहानी का विस्तार करना चाहिए।
(ii) कहानी में विभिन्न
घटनाओं और प्रसंगों को संतुलित विस्तार देना चाहिए। किसी प्रसंग को न बहुत अधिक
संक्षिप्त लिखना चाहिए, न
अनावश्यक रूप से बहुत अधिक बढ़ाना चाहिए।
(iii) कहानी का आरम्भ
आकर्षक होना चाहिए ताकि कहानी पढ़ने वाले का मन उसे पढ़ने में लगा रहे।
(iv) कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा
प्रभावशाली होनी चाहिए। उसमें बहुत अधिक कठिन शब्द तथा लम्बे वाक्य नहीं होने
चाहिए।
(v) कहानी को उपयुक्त एवं
आकर्षक शीर्षक देना चाहिए।
(vi) कहानी को प्रभावशाली
और रोचक बनाने के लिए मुहावरों व् लोकोक्तियों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
(vii) कहानी हमेशा भूतकाल में ही लिखी जाती है।
(viii) कहानी का अंत सहज ढंग
से होना चाहिए जो पाठक के सामने इतने प्रश्न छोड़ जाए कि वह चिंतन के लिए विवश हो
जाए।
(ix) अंत में कहानी से मिलने वाली सीख स्पष्ट व् संक्षिप्त होनी चाहिए।
(x) विषय मे नवीनता लाने का प्रयास करना चाहिए।
(xi) लघुकथा का अंत प्रभावशाली और प्रेरक होना चाहिए।
लघु कथा लेखन का अभ्यास निम्न प्रकार से करने
का प्रयास करना चाहिए-
(1) कहानी
की सहायता या आधार पर कहानी लिखना।
(2) रूपरेखा
के आधार पर कहानी लिखना।
(3) अधूरी
या अपूर्ण कहानी को पूरा करना।
(4) चित्रों
की सहायता से कहानी का अभ्यास करना।
प्रश्न
- भूखा आदमी सड़क के किनारे कराह रहा था कि तभी.......
- किसी गांव में एक किसान रहता था । उसके चार बेटे थे और चारो आपस में बहुत ........
- एकता मे बल
- जैसी करनी वैसी भरनी
- परोपकार का फल
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