रचनात्मक लेखन || Class 10 |

 रचनात्मक लेखन

1)     पुस्तकें पढ़ने की आदत

संकेत-बिंदु - पुस्तकों का महत्त्व पुस्तकें पढ़ने की प्रवृत्ति घटती प्रवृत्ति: कारण और समाधान

अच्छी पुस्तकें ज्ञान का भंडार होती हैं। इनके अध्ययन से जहाँ एक ओर हमारा ज्ञान बढ़ता है, वहीं मनोरंजन भी प्रदान करती हैं। पुस्तकें किसी भी व्यक्ति के जीवन की दिशा को परिवर्तित कर सकती हैं। हमारे चरित्र-निर्माण में भी पुस्तकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। पुस्तकों के पढ़ने से नए-नए विचार मिलते हैं, विवधि विषयों की जानकारी मिलती है। पुस्तकें पढ़ना ज्ञान-क्षितिज का विस्तार करना है। पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती हैं। इनसे हमारी विवेक शक्ति चैतन्य रहती है।वर्तमान समय में पुस्तकों के पढ़ने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है। इसके कई कारण हैं-युवा-वर्ग के पास पुस्तकें पढ़ने के लिए समय नहीं है। वे जो कुछ जानना या पढ़ना चाहते हैं उसे इंटरनेट की मदद से लैपटॉप या मोबाइल फोन पर पढ़-देख लेते हैं। दूसरा कारण है-पुस्तकों का दिन-प्रतिदिन महँगी होते जाना। डेढ़-दो सौ पृष्ठ की पुस्तक की कीमत भी 200 से कम नहीं होती। यह सब प्रकाशकों की बढ़ती मुनाफाखोरी का दुष्परिणाम है। पुस्तकों में प्रकाशित सामग्री का उच्चस्तर की न होना, गुणवत्ता में गिरावट भी इसका एक कारण है। हमें इस दिशा में गंभीरतापूर्वक सोचना होगा और सस्ती, मूल्यपरकउच्चस्तरीय पुस्तकों की उपलब्धता को सुनिश्चित कराना होगा तभी पाठकों में पुस्तक पढ़ने की प्रवृत्ति को जागृत किया जा सकता है।‌ निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि मानव के व्यक्तित्व के विकास के लिए अध्ययन से श्रेष्ठ विकल्प कोई नहीं है। इसलिए किताबें मानव की सबसे अच्छी दोस्त हैं जो सदैव जीवन के उतार-चढ़ाव से  न केवल परिचित कराती हैं बल्कि हर मुश्किल वक्त में एक दोस्त की भाँति मनुष्य का साथ भी देती हैं।

 

2) करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान

करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान अर्थात अभ्यास के द्वारा एक मूर्ख इंसान भी बुद्धिमान हो जाता है ठीक उसी प्रकार जिस तरह रस्सी के बार-बार आने-जाने से ठोस पत्थर पर भी निशान बन जाते हैं।अभ्यास जीवन का वह आयाम है जो कठिन से कठिन मार्ग को सरल कर देता है। किसी भी काम में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए अभ्यास की जरूरत होती है। चाहे पढ़ाई का क्षेत्र हो, कला-कौशल सीखना हो अथवा किसी लक्ष्य को प्राप्त करना हो, सर्वत्र अभ्यास जरूरी है। प्रतिभावान, दृढ़ इच्छाशक्ति तथा आत्मविश्वास होने के बावजूद यदि हमने अभ्यास नहीं किया तो हम उस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल नहीं कर पाएँगे। चीटी अपने मुँह में दाना दबाकर ले जाती है।दाना उसके मुँह से कई बार गिरता है और वह उसे फिर से उठाकर चलती है। वह कभी भी हिम्मत नहीं हारती। इसलिए अंत में अपने लक्ष्य में सफल होती है। विश्व में ऐसे बहुत महान और सफल व्यक्ति हुए हैं जो सतत् अभ्यास से सफलता के उच्च शिखर पर पहुँचे। एकलव्य, महाकवि कालिदास आदि ऐसे कई उदाहरण हैं जो हमें निरंतर लक्ष्य प्राप्ति तक अभ्यासरत रहने के लिए प्रेरित करते हैं।निश्चित ही "किया अभ्यास तो पाओगे सफलता ।"


 

लघुकथा

रमेश बाबू ने बड़े ही मन से पुत्र के लिए मोबाइल खरीदा,…………………………लघुकथा लिखिए।

शीर्षक:- दीपक का प्रायश्चित

 रमेश बाबू ने बड़े ही मन से पुत्र के लिए मोबाइल खरीदा क्योंकि उनका बेटा दीपक कब से उनसे मोबाइल लाने की जिद कर रहा था। वह कहता था कि उसके सभी दोस्तों के पास एंड्रॉएड मोबाइल है जो टच स्क्रीन भी है मुझे भी महँगा वाला मोबाइल चाहिए। दीपक इस बात से अनजान था कि उसके पिता ओवर टाइम करके दीपक की इच्छा पूर्ति करते हैं और इस बार तो उसकी मांग इतनी बड़ी थी जो कि उनके ओवर टाइम से भी पूरी नहीं होने वाली थी। इसलिए उन्होंने अपना स्कूटर बेच दिया और उसमें अपनी जमा पूंजी जोड़कर उसके लिए मोबाइल खरीदा। जब वे घर आए तो दीपक घर पर नहीं था, दोस्तों के साथ खेलने गया था। शाम को खेलकर जब दीपक घर आया तो उसने अपनी पढ़ने की मेज पर मोबाइल का डिब्बा देखा तो खुशी से उछल पड़ा और अपने पिता के पास जाकर उनसे लिपट गया। यह पिता से बोला कि अब मैं इसे सब दोस्तों को दिखाऊँगा कि मेरे पास भी महंगा फोन है। 

फोन की खुशी में वह पिता का थका चेहरा न देख पाया। अगले दिन जब दीपक स्कूल के लिए तैयार होकर बाहर आया तो उसने देखा कि पिता स्कूल छोड़ने के लिए रिक्शा बुला रहे है। उसने पिता से पूछा, पिताजी, स्कूटर कहाँ है? तब पिता ने बताया कि स्कूटर तो बेच दिया ताकि नया फोन खरीद सकें। यह सुनकर दीपक शर्मिंदा हो गया कि अपने दोस्तों पर रोब जमाने के लिए उसने अपने पिता का स्कूटर तक बिकवा दिया।

दीपक को अपनी गलती का पछतावा हुआ और उसने पिता से आगे से भौतिक वस्तुओं को पाने की इच्छा से तौबा की और खूब पढ़कर पिता को स्कूटर देने का वचन दिया।

अत: हमें दूसरों की देखा-देखी न करके वास्तविकता में जीना चाहिए।


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